30 मई, यानी आज गंगा दशहरा है। 31 तारीख को निर्जला एकादशी और गायत्री जयंती पर्व मनेगा। उसके अगले दिन यानी 1 जून को ज्येष्ठ महीने का प्रदोष व्रत रहेगा। इस दिन गुरुवार का शुभ संयोग बनने से शिव पूजा के लिए दिन और खास रहेगा।
गंगा दशहरे पर स्नान-दान से कई यज्ञ करने जितना पुण्य
पौराणिक कथाओं के अनुसार भागीरथ ने अपने पितरों को तृप्त करने के लिए अखंड तपस्या की। फिर ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर स्वर्ग से धरती पर गंगा नदी का अवतरण हुआ। इसलिए इस दिन गंगा स्नान, पूजा और दान किया जाता है और गंगा दशहरा पर्व मनाते हैं।
इस पर्व पर गंगा स्नान करने और ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देने से कई यज्ञ करने के बराबर विशेष पूर्ण फल मिलता है। इस दिन सुबह जल्दी गंगा किनारे या किसी तीर्थ स्थान पर गंगाजल से नहाएं। इसके बाद सुगंधित द्रव्य, नारियल, चावल और फूल से गंगा पूजन करें और दीपक जलाएं। इसके बाद गंगा को प्रणाम करें।
निर्जला एकादशी को पांडव या भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं
31 मई को निर्जला एकादशी है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक सालभर की सभी एकादशियों का पुण्यफल का लाभ देने वाली इस श्रेष्ठ निर्जला एकादशी को पांडवों में भीम ने भी यही व्रत किया। इस कारण इसे पांडव या भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। इस तिथि पर पूरे दिन प्यासा रहकर जरूरतमंद या ब्राह्मणों को शुद्ध पानी से भरा घड़ा, फल और दक्षिणा दान करने से महापुण्य मिलता है। इस दिन देश में जगह-जगह ठंडे पानी की छबीलें लगाई जाती है।
गायत्री जयंती: वेदमाता का प्राकट्य पर्व
धर्म ग्रंथों के मुताबिक ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को देवी गायत्री प्रकट हुई थीं। इन्हें वेदमाता कहा जाता है यानी सभी वेदों की उत्पत्ति इन्हीं से हुई हैं। इन्हें भारतीय संस्कृति की जननी भी कहा गया है। इस बार ये पर्व 31 मई, बुधवार को है।
धर्म ग्रंथों में लिखा है कि मां गायत्री की उपासना से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और किसी वस्तु की कमी नहीं होती। अथर्ववेद के मुताबिक देवी गायत्री से आयु, प्राण, प्रजा, पशु, कीर्ति, धन और ब्रह्मवर्चस यानी शरीर का तेज बढ़ता है।
गुरु प्रदोष: सौभाग्य और समृद्धि देने वाला व्रत
त्रयोदशी पर किए जाने वाले व्रत को प्रदोष व्रत भी कहते हैं। ये शिवजी का पसंदीदा व्रत होता है। इसमें भी ज्येष्ठ मास में आने वाले प्रदोष व्रत को बहुत खास माना जाता है। जो कि 1 जून को रहेगा। इस दिन गुरुवार होने से गुरु प्रदोष का संयोग बनेगा। जो कि सौभाग्य और समृद्धि बढ़ाने वाला होता है।
मान्यता है कि प्रदोष तिथि पर सूर्यास्त के वक्त महादेव कैलाश पर्वत पर रजत भवन में नृत्य करते हैं और देवता उनका गुणगान करते हैं। ये भी माना जाता है कि प्रदोष व्रत करने से हर दोष और परेशानी खत्म हो जाती है।