प्रधानमंत्री मोदी आज उत्तराखंड की पहली और देश की 18वीं वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाएंगे। देहरादून से दिल्ली तक जाने वाली यह ट्रेन इस साल लॉन्च होने वाली 5वीं वंदे भारत ट्रेन है। उद्घाटन समारोह सुबह 11 बजे देहरादून में होगा, जहां मुख्यमंत्री पुष्कर धामी भी मौजूद रहेंगे।
अलग-अलग होगी वंदे भारत की स्पीड
अधिकारियों का कहना है कि उद्घाटन के बाद ट्रेन 27 मई को रेग्युलर बेस पर चलेगी। वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के लोको पायलट क्षेत्रपाल सिंह ने बताया, वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की स्पीड 110 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार चलेगी। 8 कोच वाली ये ट्रेन बुधवार छोड़कर बाकी 6 दिन चलेगी। दिल्ली से देहरादून की दूरी करीब 292 किलोमीटर है, जिसे ये साढ़े चार घंटे में तय करेगी। गाड़ी की औसत स्पीड 65 किलोमीटर प्रतिघंटा रहेगी।
मंगलवार को हुआ था ट्रायल रन
ट्रायल के दौरान सहारनपुर पहुंची वंदेभारत एक्सप्रेस के साथ सेल्फी लेते यात्री।
मंगलवार की सुबह वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का ट्रायल लिया गया था। ट्रेन सुबह करीब 7 बजे सहारनपुर पहुंची। यहां से देहरादून के लिए रवाना हुआ। शाम 4.18 बजे दोबारा से ट्रेन सहारनपुर पहुंची। ट्रेन को लेकर यात्रियों में काफी उत्साह दिखाई दिया। यात्रियों ने ट्रेन के साथ सेल्फी ली। ट्रेन 4.27 बजे दिल्ली के लिए रवाना हो गई।
यह रहेगा शेड्यूल
वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन सुबह 7 बजे देहरादून से रवाना होगी। ये करीब साढ़े चार घंटे का सफर तय करके 11 बजकर 19 मिनट पर दिल्ली के आनंद विहार स्टेशन पर पहुंचेगी। वापस में यही गाड़ी शाम 5.20 बजे आनंद विहार स्टेशन से चलेगी और रात 10.20 बजे देहरादून पहुंचेगी। किराया कितना होगा, रेलवे ने इसका अभी ऐलान नहीं किया है।
इन 5 स्टेशनों पर होगा वंदे भारत का स्टॉपेज
देहरादून-आनंद विहार वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन 5 स्टेशनों पर हॉल्ट लेगी। इसमें हरिद्वार, रुड़की, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और मेरठ सिटी स्टेशन शामिल हैं। इससे लोगों के दिल्ली से हरिद्वार, मसूरी और ऋषिकेश जाने-आने में परेशानी नहीं होगी।
वंदे भारत से बढ़ी रेल यात्रियों की सुविधा
दुनिया में चौथा सबसे लंबा रेल नेटवर्क भारत का है। यहां 1.25 लाख किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक पर हर रोज 11 हजार से ज्यादा ट्रेनें दौड़ती हैं। इन ट्रेनों के जरिए करीब 3 करोड़ लोग हर रोज सफर करते हैं। इतना बड़ा और लोगों से जुड़ा होने की वजह से भारत में रेलवे का अलग बजट ही पेश किया जाता था। 2016 में मोदी सरकार ने 92 साल पुरानी ये प्रथा बंद की।