फिल्म द केरला स्टोरी की कहानी धर्मांतरण पर आधारित है। ये केरल की उन हिंदू महिलाओं की कहानी है, जिन्हें धर्मांतरण के बाद सीरिया ले जाया गया था और उनका शोषण किया गया था। वैसे धर्मांतरण के सब्जेक्ट पर पिछले साल एक और फिल्म रिलीज हुई थी, जिसका नाम है ‘द कन्वर्जन’।
डायरेक्टर विनोद तिवारी की माने तो विपुल शाह की फिल्म द केरला स्टोरी सिर्फ और सिर्फ सरकार के सपोर्ट से हिट हुई, जबकि उनकी फिल्म ‘द कन्वर्ज़न’ को तो रिलीज भी नहीं होने दिया जा रहा था।
हमारी फिल्म के साथ भेदभाव किया गया
दैनिक भास्कर से खास बातचीत के दौरान विनोद तिवारी ने कहा, “देखिए, मैं तो यही कहूंगा की मेरी फिल्म सिर्फ केरल नहीं बल्कि पूरे देश और दुनिया भर की कहानी थी। शायद उस वक्त सरकार को लगा हो कि उस वक्त चुनाव नहीं थे, तो इस फिल्म का समर्थन क्यों करें।
लड़कियां तो आज भी लव जिहाद और धर्मांतरण की वजह से फंस रही हैं। हमारी फिल्म के साथ भेदभाव हुआ। अब चुनाव आ रहा हैं तो आपने इस मुद्दे से जुडी फिल्म को समर्थन दे दिया, इस हिसाब से हमारी फिल्म में क्या गलत था?’
तस्वीर में दिख रहे शख्स विनोद तिवारी हैं।
विपुल शाह ने मेरी कहानी को अपनी बता कर दिखा दिया
विनोद ने आगे कहा, ‘मैंने तो फिल्म को टैक्स फ्री करने जैसी बातें भी नहीं की थी, मैं सिर्फ स्क्रीन चाहता था ताकि लोग फिल्म को देखे। फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर को डरा कर रखा था। मुंबई के कुछ लोग आज भी मुझसे कहते हैं कि उन्हें आदेश दिया गया हैं कि फिल्म रिलीज ना हो, वरना हिन्दू-मुस्लिम दंगा हो जाएगा।
मुझे लगता हैं कि विपुल अमृतलाल शाह ने मेरी ही फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाया, वह भी उसी हैशटैग #saveourdaughter का इस्तेमाल करके। दुख तो बहुत होता हैं कि भला हमारे साथ ऐसा क्यों हुआ।”
विपुल अमृतलाल शाह द केरला स्टोरी के प्रोड्यूसर हैं।
द केरला स्टोरी मेरी फिल्म की कॉपी है
विनोद तिवारी ने इस बात का अफसोस जताया कि बतौर फिल्ममेकर उनके काम को क्रेडिट नहीं मिला। उन्होंने कहा, ‘इस फिल्म की कहानी सच्ची घटना पर आधारित है, मैंने भी सत्य घटना पर आधारित फिल्म लिखी थी।
बतौर फिल्ममेकर, मुझे लगता हैं की ‘द केरला स्टोरी’ मेरी ही फिल्म की कॉपी हैं। उन्होंने सिर्फ केरल को हाइलाइट किया बाकी तो लव जिहाद, आतंक वगैरह हमने भी अपनी फिल्म में दिखाया था, लेकिन हमारे काम को क्रेडिबिलिटी नहीं मिली।”
सेंसर बोर्ड ने एक नहीं, दो नहीं बल्कि दस बार फिल्म रिजेक्ट की
फिल्म ‘द कन्वर्जन’ के बारे में विनोद ने कहा, ‘2020 में लॉकडाउन के दौरान, कई न्यूज चैनल में लव जिहाद और कन्वर्जन पर स्टोरीज चलती थी। तब मेरी पत्नी, जो कि एक राइटर भी हैं उन्होंने इस सब्जेक्ट पर फिल्म बनाने की बात कही। मुझे लगा की ये मुद्दा बहुत सेंसिटिव हैं और हमें सोसाइटी के लिए कुछ करना चाहिए। हमने एक साल रिसर्च किया और 2021 में इसकी शूटिंग शुरू की और फिल्म बनाकर रिलीज के लिए तैयार कर दी।
दुर्भाग्यवश हमारी फिल्म के चेयरमैन प्रसून जोशी ने एक नहीं, दो नहीं बल्कि दस बार ये कहकर रिजेक्ट कर दी कि आप हिंदुत्व को बढ़ावा दे रहे हैं। हमने केरल हाईकोर्ट की जजमेंट को बतौर सबूत पेश किया तब जाकर उन्होंने फिल्म पास की। हमारी फिल्म को U/A सर्टिफिकेट मिला।”
सरकार ने कहा- फिल्म से हिंदू मुस्लिम हिंसा हो सकती है
वे आगे कहते हैं, ‘फिल्म को पास करने में मैंने बहुत चप्पलें घिसी हैं, सेंसर बोर्ड तो फिल्म पास करने के लिए तैयार ही नहीं था। ‘द केरला स्टोरी’ ओरिजिनल फिल्म नहीं हैं, हमारी फिल्म ने भी टेरर फंडिंग जैसी बात रखी थी।
शुरुआत में मुझे तक़रीबन 700 स्क्रीन देने के लिए तैयार थे, लेकिन बाद में पलट गए। मुंबई की सरकार तो ये कहकर रिलीज करने से मना कर दिया कि इससे हिन्दू-मुस्लिम हिंसा हो सकती है।
झेलना पड़ा 8 करोड़ का नुकसान
विनोद ने कहा कि उन्हें इस दौरान लगभग 8 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। इसमें 5 करोड़ फिल्म बनाने में लगे जबकि 3 करोड़ रुपए इसके प्रमोशन में गए। बता दें कि विनोद तिवारी ‘तेरी भाभी हैं पगले’, ‘तबादला’, ‘जिला गोरखपुर’ जैसी फिल्में भी बना चुके हैं।