सूर्य ग्रहण और चार ग्रहों के विशेष संयोग में 20 अप्रैल को वैशाख अमावस्या पर्व मनेगा। ग्रहों की शुभ स्थिति में अमावस्या का संयोग होने से स्नान-दान का पुण्य फल और बढ़ जाएगा। कल साल का पहला सूर्य ग्रहण भी है। हालांकि देश में नहीं दिखने के कारण इसका धार्मिक महत्व भी नहीं रहेगा।
ये हाइब्रिड सूर्य ग्रहण सिर्फ खगोलीय नजरिये से ही खास रहेगा। जो अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, फिलिपिंस, हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के दक्षिणी हिस्सों में दिखेगा। हाइब्रीड इसलिए क्योंकि ये पूर्ण और वलयाकार दोनों तरह से दिखेगा।
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि इस वक्त सूर्य अपनी उच्च राशि में रहेगा, इसलिए ज्योतिषिय नजरिये से ये ग्रहण खास रहेगा। अमावस्या पर मेष राशि में सूर्य, चंद्र, बुध और राहु रहेंगे। इस विशेष चतुर्ग्रही संयोग में किए गए स्नान, दान और पूजा-पाठ से मिलने वाला पुण्य फल और बढ़ जाएगा। गुरुवार को पड़ने वाली अमावस्या शुभ होती है। जिसका शुभ फल देश की राजनीति, प्रशासनिक और कानूनी व्यवस्था पर दिखता है।
स्नान-दान से दूर होंगी बीमारियां
वैशाख महीने की अमावस्या पर पितरों की संतुष्टि के लिए विशेष पूजा और तर्पण करने का विधान ग्रंथों में बताया गया है। इस तिथि को ग्रंथों में पर्व कहा गया है। इस तिथि पर सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में आ जाते हैं। इस बार सूर्य, चंद्रमा और राहु्, ये तीनों ही ग्रह एक ही अश्विनी नक्षत्र में रहेंगे। इस नक्षत्र के स्वामी अश्विनी कुमार हैं। इसलिए वैशाख महीने की अमावस्या पर स्नान-दान से बीमारियां दूर होंगी।
पीपल पूजा करने का महत्व
इस दिन अनुष्ठानों का भी बहुत महत्व होता है। अगहन महीने की अमावस्या पर तीर्थ, स्नान और दान के साथ ही शंख से भगवान कृष्ण का अभिषेक और उनकी विशेष पूजा करनी चाहिए। शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत भी कहा गया है। अश्वत्थ यानि पीपल का पेड़।
इस दिन शादीशुदा महिलाओं द्वारा पीपल के पेड़ की दूध, जल, पुष्प, अक्षत और चंदन से पूजा कर पेड़ के चारों ओर सूत का धागा लपेट कर परिक्रमा करने का विधान है।
इस दिन व्रत रखने और शिव पार्वती की पूजा करने से सुहाग की उम्र बढ़ती है। सौभाग्य की प्राप्ति होती है। दांपत्य जीवन में स्नेह और सद्भाव बढ़ाने के लिए भी सुहागिनों को वैशाख मास की अमावस्या का व्रत और पूजा करनी चाहिए।