19 और 20 अप्रैल को वैशाख महीने की अमावस्या है। नारद पुराण के मुताबिक इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और जरुरतमंद लोगों को दान देने की परंपरा है। ऐसा करने से कई गुना पुण्य फल मिलता है। इसलिए इसे पुण्य पर्व भी कहा गया है।
वैशाख महीने की अमावस्या पितरों की पूजा के लिए खास दिन होता है। इस दिन किए गए श्राद्ध और ब्राह्मण भोजन से पितरों को संतुष्टि मिलती है। ज्योतिष के मुताबिक बुधवार और गुरुवार के अमावस्या का होना शुभ फलदायी रहता है। ये शनिदेव की जन्म तिथि भी है इसलिए इस दिन शनिदेव की पूजा करने से शनि दोष में कमी आती है।
वैशाख अमावस्या पर सुबह पीपल के पेड़ के पास घी का दीपक लगाएं। वहीं, इस तिथि पर प्रदोष काल यानी शाम के समय दीपदान करने से अकाल मृत्यु नहीं होती है। 19 अप्रैल को प्रदोष काल में अमावस्या का शुभ संयोग रहेगा।
वैशाख अमावस्या के दिन ये करें
1. वैशाख अमावस्या पर व्रत करना चाहिए। इससे संयम, आत्मबल और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।
2. इस अमावस्या के दिन स्नान के जल में तिल डालकर स्नान करने से शनि के दोषों से मुक्ति मिलती है।
3. इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण करना चाहिए। इससे उन्हें मुक्ति मिलती है।
4. पितृ दोष निवारण के लिए वैशाख अमावस्या के दिन पितरों के नाम से जरुरतमंद लोगों को भोजन करवाएं।
5. इस दिन स्नान करके सूर्य को जल में तिल डालकर अर्घ्य देने से ग्रह दोष दूर होते हैं।
6. वैशाख अमावस्या पर पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से रोग मुक्ति होती है।
अमावस्या पर ये करने से बचें
1. इस दिन मांसाहार और किसी भी तरह का नशा नहीं करना चाहिए।
2. भोग और विलासिता से बचने की कोशिश करनी चाहिए।
3. उड़द या इससे बनी कोई भी चीज न खाएं।
4. मांगलिक कार्य, शुभ कामों के लिए खरीदारी और नए काम की शुरुआत नहीं करनी चाहिए।