प्रयागराज में शनिवार रात अतीक और उसके भाई अशरफ की पुलिस कस्टडी में गोली मारकर हत्या कर दी जाती है। पुलिस कस्टडी और कैमरे के सामने हुई इस हत्या की घटना के बाद कानून व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सवाल 1: पुलिस कस्टडी में मर्डर के बाद क्या होता है?
जवाब: पुलिस कस्टडी में भी आरोपी या अपराधियों के कई अधिकार होते हैं। पुलिस कस्टडी में अगर किसी की मौत या हत्या होती है तो उसे लेकर देश में सख्त कानून है। पुलिस कस्टडी में मौत और पुलिस टॉर्चर की जांच और कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग यानी NHRC ने एक गाइडलाइन बना रखी है। अतीक की हत्या भी पुलिस कस्टडी में ही की गई है, इसीलिए इस केस की जांच भी इसी तरह से होगी।
इस तरह की किसी घटना के बाद जांच के लिए बिना देर किए एक न्यायिक आयोग बनाया जाता है। अतीक अहमद की हत्या के तुरंत बाद भी ऐसा ही हुआ है। CM योगी आदित्यनाथ ने एक उच्चस्तरीय बैठक कर तीन सदस्यों की एक न्यायिक कमेटी बना दी है। इस कमेटी में शामिल हैं…
1.इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस अरविंद कुमार त्रिपाठी (कमेटी हेड)
2. रिटायर्ड जिला जज ब्रिजेश कुमार सोनी
3. पूर्व DGP सुबेश कुमार सिंह
सवाल 2: अतीक की हत्या मामले में किन 5 सवालों के जवाब खोजेगी न्यायिक जांच कमेटी?
जवाब: 3 सदस्यों वाली ये कमेटी अतीक और अशरफ की हत्या मामले में इन 5 सवालों के जवाब जानने की कोशिश करेगी…
सवाल 3: अब कमेटी अतीक हत्या केस की जांच कैसे आगे बढ़ाएगी?
जवाब: अब न्यायिक जांच कमेटी इस केस से जुड़ी हर गुत्थी को सुलझाने के लिए इन 4 तरीकों से जांच को आगे बढ़ा सकती है…
सवाल 4: किन 10 बातों को ध्यान में रखकर जांच कमेटी तैयार करती है फाइनल रिपोर्ट?
जवाब: न्यायिक कमेटी पुलिस कस्टडी में मौत या हत्या के मामले में 8 रिपोर्ट्स और 2 बातों को ध्यान में रखकर रिपोर्ट तैयार करती है। अतीक और अशरफ की मौत भी पुलिस कस्टडी के दौरान ही हुई है, ऐसे में इस केस में इन बातों को ध्यान में रखकर फाइनल रिपोर्ट तैयार हो सकती है…
इसके अलावा हत्या की मुख्य वजह और घटना से जुड़े सभी कानूनी पक्षों को भी ध्यान में रखकर पुलिस इस रिपोर्ट को तैयार करती है।
सवाल 5: अतीक और अशरफ की जिस तरह से हत्या हुई उसको लेकर कानून क्या कहता है?
जवाब: सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता कहते हैं कि अगर कोई आरोपी कानूनी तौर पर पुलिस हिरासत या पुलिस रिमांड पर है तो उसके पास भी कई अधिकार होते हैं। जैसे-
1. संविधान के अनुच्छेद- 21 के तहत जीवन जीने का अधिकार।
2. IPC के सेक्शन 330, 331 और CrPC के सेक्शन 41 के तहत पुलिस कस्टडी में सुरक्षा का अधिकार।
पुलिस की जिम्मेदारी होती है कि उसकी कस्टडी में किसी की मौत या हत्या नहीं हो। इसीलिए पुलिस हिरासत में लिए जाने के बाद तुरंत आरोपी का मेडिकल टेस्ट कराया जाता है। ताकि उसके हेल्थ से जुड़ी सही जानकारी पुलिस के पास हो और उसके साथ कोई हिंसा न हो सके। विराग कहते हैं कि आमतौर पर पुलिस कस्टडी में हत्या के 3 तरह के मामले होते हैं…
1 आपसी रंजिश में हत्या
2 संदिग्ध परिस्थिति में मौत
3. पुलिस के टॉर्चर से मौत
हालांकि अतीक का केस इन तीनों ही तरह के मामलों से अलग है। अदालत के आदेश पर अतीक पुलिस की कस्टडी में था। ऐसे में उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरी तरह से पुलिस की थी। ज्यूडिशियल कस्टडी में अतीक को मीडिया से बात करने की इजाजत देना और पुलिस सुरक्षा के बीच ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर उसकी हत्या करना दोनों जांच के विषय हैं। ये घटना बेहद भयावह है।
कानूनी तौर पर इसमें न्यायिक जांच कराने के बाद दोषियों को कठोर सजा मिलनी चाहिए। ताकि समाज में एक मैसेज जाए और दोबारा इस तरह की घटना ना हो। हालांकि विराग कहते हैं कि ये घटना NHRC की गाइडलाइन से हटकर है, ऐसे में संभव है कि जांच प्रक्रिया में गाइडलाइन से अलग तरीके भी अपनाए जाएं।
सवाल 6: जांच कमेटी की रिपोर्ट खुलेआम गोली चलाकर हत्या करने वालों को सजा दिलाने में कितना सक्षम होगी?
जवाब: इस तरह की जांच कमेटी की रिपोर्ट में जिक्र की गई ये 5 बातें अदालत में आरोपियों को दोषी सिद्ध कराने और सजा दिलाने में अहम भूमिका निभाती हैं…
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अतीक ने कहा था- पुलिस मारेगी या बिरादरी का सिरफिरा:4 वजहें जो बताती हैं, हत्या के पीछे दुश्मन या फिर कोई अपना
‘एनकाउंटर होगा, या पुलिस मारी, या कोई अपनी बिरादरी का सिरफिरा। सड़क के किनारे पड़े मिलब।’
यह बयान माफिया अतीक अहमद का है। साल 2004 में यूपी की फूलपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने के दौरान पत्रकारों से यह बात कही थी। 19 साल बाद पुलिस कस्टडी में उसकी हत्या हुई, तो बयान दोबारा चर्चा में आ गया।
तीन युवकों ने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या करने के बाद फौरन सरेंडर कर दिया। इनके नाम लवलेश तिवारी, सनी और अरुण मौर्य है। हालांकि अब तक हत्या के मोटिव का पता नहीं चल सका है।