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अजीत डोभाल से मिले रूस के डिप्टी PM:आज इंटरगवर्नमेंटल कमीशन की मीटिंग में हिस्सा लेंगे, विजिट का मकसद ट्रेड बढ़ाना

रूस के डिप्टी प्राइम मिनिस्टर डेनिस वेलेंटिनोविच मांटुरोव ने सोमवार को नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल से मुलाकात की। दो दिन के दौरे पर नई दिल्ली पहुंचे डेनिस मंगलवार को बेहद अहम इंटरगवर्नमेंट कमीशन की मीटिंग में हिस्सा लेंगे।

रूसी डिप्टी PM का यह दौरा भारत से ट्रेड रिलेशन को लेकर खास है। दरअसल, रूस दो मुद्दों पर फोकस कर रहा है। पहला- दोनों देशों के बीच ट्रेड बैलेंस बनाया जाए। दूसरा- रुपए में ट्रेड शुरू करने को लेकर कोई आसान रास्ता निकाला जाए।

स्ट्रैटेजिक रिलेशन और रूस-यूक्रेन जंग
सोमवार को मांटुरोव ने अजीत डोभाल से मुलाकात की। इस दौरान स्ट्रैटेजिक रिलेशन शुरू करने पर फोकस रहा। रूस और यूक्रेन जंग के दौरान भारत ने रूस से काफी क्रूड ऑयल खरीदा और इसको लेकर अमेरिका ने नाराजगी दर्ज कराई थी। इसके बावजूद भारत ने न तो तेल खरीदना बंद किया और न ही यूक्रेन पर रूसी हमले की निंदा की।

दोनों देशों के बीच बाइलैट्रल रिलेशन को लेकर भी कुछ मुद्दे हैं। इनमें से ज्यादातर ट्रेड और डिफेंस से जुड़े हैं। भारत कई बार रूस-यूक्रेन जंग को खत्म करने पर जोर दे चुका है। प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के राष्ट्रपति से कहा था- यह दौर जंग का नहीं है। डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह के अलावा खुद अजीत डोभाल तीन बार रूस का दौरा कर चुके हैं।

फ्री ट्रेड एग्रीमेंट का मुद्दा

  • दुनिया के बाकी देशों की तरह रूस भी भारत से फ्री ट्रेड एग्रीमेंट करना चाहता है। इससे दोनों देश का ट्रेड बहुत बेहतर हो सकता है। भारत चाहता है कि रूस और भारत हर तरह का ट्रेड रुपए-रूबल में करें। रूस कुछ मामलों में तो इसके लिए तैयार है, लेकिन कुछ सेक्टर्स ऐसे भी हैं, जहां रूस चाहता है कि यह कारोबार अमेरिकी डॉलर में हो।
  • मंगलवार को जब इंटरगवर्नमेंटल कमीशन की मीटिंग होगी तो इस मुद्दे पर बातचीत जरूर होगी। सोमवार को दोनों देशों के बीच 24वीं अहम मीटिंग हुई। इसमें भी ट्रेड, इकोनॉमी, साइंस-टेक्नोलॉजी और कल्चरल कोऑपरेशन जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। इन सभी मुद्दों पर चर्च के लिए दोनों देशों ने 6 ग्रुप बनाए हैं। आज होने वाली मीटिंग में फॉरेन मिनिस्टर जयशंकर भी हिस्सा लेंगे।

चीन की मिसाल

  • सोमवार को मीडिया से बातचीत में मांटुरोव ने कहा- चीन और रूस के बीच 200 अरब डॉलर का सालाना कारोबार होता है। खास बात यह है कि यह बैलेंस है। मायने ये कि जितना रूस इम्पोर्ट करता है, उतना ही एक्सपोर्ट भी करता है। भारत के साथ भी हम ट्रेड बैलेंस और पेमेंट्स इश्यूज पर बात कर रहे हैं। उम्मीद है जल्द ही इन मुद्दों पर सहमति बन जाएगी।
  • रूस और यूक्रेन की जंग शुरू होने के बाद चीन ने इसका जबरदस्त फायदा उठाया। सिर्फ 2022 में ही चीन ने रूस को 12% ज्यादा एक्सपोर्ट किया। खास बात ये है कि इस दौरान बाइलैट्रल ट्रेड युआन यानी चीन की करंसी में हुआ। वैसे इसका फायदा रूस को भी हुआ। इसकी वजह ये है कि उसने अपने खजाने में मौजूद डॉलर और यूरो खर्च नहीं किए और चीन को पेमेंट उसकी ही करंसी में किया।
  • भारत सरकार लगातार रूस पर दबाव डाल रही है कि वो रुपए-रूबल में ट्रेड शुरू करे। मॉस्को कुछ मुद्दों के चलते इस पर तैयार नहीं है। रूस और भारत के संबंध पुराने हैं। हालांकि पिछले कुछ साल में भारत और अमेरिका के रिश्ते भी काफी मजबूत हुए हैं। भारत और रूस के बीच सालाना ट्रेड करीब 8 बिलियन डॉलर का है। दूसरी तरफ, अमेरिका और भारत के बीच ट्रेड का आंकड़ा 110 बिलियन डॉलर है।

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