प्रयागराज में अतीक अहमद और अशरफ को रविवार रात 8.30 बजे कसारी-मसारी स्थित कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। दोनों के जनाजे में महज 100 लोग शामिल हुए। अतीक को बेटे असद से महज 5 कदम की दूरी पर दफन किया गया। अतीक को मिट्टी देने उसके दोनों नाबालिग बेटे भी आए, जो बाल सुधार गृह में बंद हैं। अशरफ को मिट्टी देने उसकी पत्नी जैनब और बेटी आईं।
अंतिम संस्कार में आधार कार्ड देखकर एंट्री दी गई। इसमें ऐसे ही लोगों को एंट्री मिली, जो परिवार के थे। इससे पहले पोस्टमॉर्टम हाउस से दोनों के शव को लेने बहनोई, ससुर और दो रिश्तेदार पहुंचे थे।
अतीक और अशरफ के पोस्टमार्टम रिपोर्ट की जानकारी भी सामने आ रही है। न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि अतीक को 9 और अशरफ को 5 गोलियां लगी थीं। गोलियां सिर-सीने और पेट में मारी गईं। पोस्टमार्टम 3 घंटे तक चला।
अतीक-अशरफ को दफन करने से पहले की फोटो।
अतीक-अशरफ हत्याकांड सुप्रीम कोर्ट पहुंचा
उधर, अतीक-अशरफ की हत्या का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। Livelaw साइट के मुताबिक, एडवोकेट विशाल तिवारी ने PIL दाखिल की है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में जांच कराने की मांग गई है। साथ ही 2017 से UP में अब तक हुए 183 एनकाउंटर की जांच की अपील की गई है। यूपी सरकार ने रविवार को ही इस मामले की जांच के लिए 3 सदस्यीय न्यायिक आयोग गठन किया है।
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पूरे इलाके में 10 हजार जवान तैनात रहे
अतीक-अशरफ के अंतिम संस्कार के दौरान बेहद चाक चौबंद सुरक्षा रही। पुलिस ने पूरे इलाके में बैरिकेडिंग कर रखी थी।
अतीक-अशरफ को जिस कसारी-मसारी इलाके में दफन किया गया, वो उसका गढ़ था। यहीं से अतीक 5 बार और अशरफ एक बार विधायक चुना गया। ऐसे में दोनों की हत्या के बाद इलाके में सुरक्षा व्यवस्था बेहद पुख्ता की गई थी। पुलिस, PAC और रैपिड ऐक्शन फोर्स (RAF) के करीब 10 हजार जवानों ने पूरे इलाके के चप्पे-चप्पे को कब्जे में ले रखा था। हर गली, नुक्कड़, चौराहों पर पुलिस के जवान तैनात थे। छतों पर भी पुलिस के जवान खड़े किए गए थे।
यह चकिया इलाके की फोटो है। यहां अतीक का घर था। रविवार को यहां सन्नाटा रहा। गलियां सुनसान दिखीं। सिर्फ पुलिस जवान ही चारों तरफ नजर आए।
थ्री लेयर बैरिकेडिंग और चेकिंग की व्यवस्था
कब्रिस्तान से करीब 300 मीटर दूर सभी को रोक दिया गया। मीडियाकर्मियों को भी कब्रिस्तान के अंदर नहीं जाने दिया गया। इससे पहले बैरिकेडिंग करके उनके नाम और मोबाइल नंबर नोट किए गए। पुलिस कमिश्नर की अगुआई में पुलिस ने करीब 25 गाड़ियों में फ्लाइंग मार्च पास्ट भी किया।
अतीक और अशरफ को मिट्टी देने के लिए आए बहुत से लोग आधार कार्ड लेकर भी पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उन्हें एंट्री नहीं दी। इसे लेकर कई बार लोगों की पुलिस से नोक-झोंक भी हुई। आखिरकार लोगों को लौटना ही पड़ा। इस दौरान लोगों को गुस्सा भी देखने को मिला।
कब्रिस्तान में जाने के लिए आधार कार्ड देखे जा रहे थे। कब्रिस्तान से करीब 300 मीटर दूर सभी को रोक दिया गया। पुलिसकर्मी लगातार इलाके का वीडियो बना रही थी।
अतीक को आखिरी बार देखने छतों पर चढ़े लोग
अतीक-अशरफ की बॉडी पोस्टमॉर्टम के बाद जब उसके मोहल्ले से गुजर रही थी, तो तमाम लोग दोनों की आखिरी बार देखने के लिए छतों पर खड़े थे। हालांकि, लोग पाबंदियों के चलते अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए। लेकिन, इलाके की छत, बालकनी पूरी तरह से हाउसफुल रहीं। सुरक्षा की वजह से पुलिस ने भी एहतियातन लोगों से घरों में ही रहने की अपील की थी।
न्यायिक आयोग 2 महीने में देगा रिपोर्ट
यूपी के गृह विभाग ने हत्याकांड की जांच के लिए 3 सदस्यीय न्यायिक आयोग गठित किया है। यह आयोग 2 महीने के अंदर मामले की जांच करके शासन को रिपोर्ट सौंपेगा।
आयोग हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस अरविंद कुमार त्रिपाठी के नेतृत्व में काम करेगा। इसमें रिटायर्ड DGP सुबेश सिंह, जिला कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बृजेश कुमार सोनी को शामिल किया गया है। इससे पहले
विपक्ष ने भी सुप्रीम कोर्ट से दखल देने को कहा
मायावती ने कहा कि इस घटना का सुप्रीम कोर्ट अगर स्वयं ही संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करे तो बेहतर होगा। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी ऐसे मांग की। MP के पूर्व CM कमलनाथ और सपा नेता रामगोपाल ने कहा कि अतीक-अशरफ की हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेना चाहिए।
अतीक-अशरफ की हत्या के वक्त का फुटेज। अतीक की कनपटी पर पहली गोली मारी गई। फिर दूसरी गोली अशरफ के सिर पर मारी गई।
प्रयागराज के कॉल्विन हॉस्पिटल परिसर में शनिवार रात मीडिया कैमरों के सामने मारे गए अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद ने घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिया था। दोनों को पुलिस अस्पताल लेकर पहुंची, लेकिन उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। जिन 3 हमलावरों ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया था। उन्हें रविवार को कोर्ट ने 14 दिन के लिए जेल भेज दिया है। हालांकि, इस हत्याकांड को लेकर लोगों के मन में कई सवाल हैं, जिसका जवाब अभी पुलिस के पास भी नहीं है। इन सवालों के जवाब मिलना बाकी है…
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उमेश मर्डर के बाद 51 दिन में अतीक खत्म, कहा था- मीडिया की वजह से सेफ हूं
जिस मीडिया से अतीक अहमद ने कहा था कि आप सबकी वजह से ही हिफाजत में हूं, उसी के सामने शनिवार रात उसकी हत्या कर दी गई। मीडियाकर्मी बनकर ही 3 शूटर्स ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया। जिस अतीक के खौफ और आतंक से लोग दहशत में रहते थे, उस अतीक को ऐसी मौत मिलेगी किसी ने सोचा भी नहीं था।
उमेश पाल मर्डर के बाद 51 दिन अतीक के लिए कयामत के रहे। 15 दिन में दो बार वह साबरमती जेल से प्रयागराज लाया गया। उम्रकैद की सजा हुई। तीसरे नंबर का बेटा असद एनकाउंटर में मारा गया। अतीक अभी 4 दिन की पुलिस रिमांड पर था। शनिवार को पूछताछ के दौरान उसकी तबीयत बिगड़ी तो चेकअप के लिए अस्पताल लाया गया। यहीं उसकी और उसके भाई अशरफ की हत्या कर दी गई।