मेष संक्रांति पर्व 14 अप्रैल को है। इस दिन सूर्य अपनी उच्च राशि यानी मेष में आ जाएगा। इसलिए इसे मेष संक्रांति कहा जाता है। इस दिन स्नान-दान और सूर्य को अर्घ्य देने का विधान ग्रंथों में बताया गया है।
ज्योतिष ग्रंथों के मुताबिक इस दिन सूर्य मीन राशि से निकलकर मेष में आता है। इसलिए खरमास भी इसी दिन खत्म होता है। इस कारण इस दिन से ही रुके हुए मांगलिक काम शुरू हो जाते हैं। इसे विषुव संक्रांति भी कहते हैं। सौर मास (सोलर कैलेंडर) को मानने वाले लोग इसी दिन को नववर्ष की शुरुआत के रूप में मनाते हैं।
स्नान दान के लिए तकरीबन 8 घंटे का मुहूर्त
इस दिन भगवान सूर्य की पूजा के साथ तीर्थ स्नान और दान करने की परंपरा है। इसके लिए पुण्यकाल सुबह 11 से शाम 7 बजे तक रहेगा। इस मौके पर भगवान सूर्य की विशेष पूजा करनी चाहिए।
14 अप्रैल, शुक्रवार को सूरज उगने से पहले उठने के बाद तीर्थ के जल से नहाएं और फिर सूर्य को जल चढ़ाएं। इसके लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल करें। लोटे में शुद्ध जल भरकर उसमें चावल, लाल चंदन और लाल फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। जल चढ़ाने के बाद श्रद्धा अनुसार अन्न, जल, कपड़े और अन्य चीजों के दान का संकल्प लेना चाहिए और फिर दान करना चाहिए।
खरमास खत्म लेकिन अगले महीने शुरू होंगे मांगलिक काम
13 मार्च को मीन संक्रांति से खरमास शुरू हो गया था। जो कि अब एक महीने बाद यानी 14 अप्रैल को खत्म होगा। खरमास के चलते मांगलिक कामों के मुहूर्त नहीं थे। हर साल खरमास खत्म होते ही 15 या 16 अप्रैल से मांगलिक काम शुरू हो जाते थे। लेकिन इस बार गुरु अस्त होने से शादी, सगाई, गृहप्रवेश और अन्य मांगलिक कामों के लिए मुहूर्त 3 मई से है। हालांकि खरमास और गुरु अस्त के दौरान हर तरह की खरीदारी की जा सकती है। जिसके लिए ग्रंथों में मुहूर्त भी बताए गए हैं।