भारत-चीन सीमा विवाद के बीच अब म्यांमार भी सवालों के घेरे में आ गया है। बंगाल की खाड़ी में भारत ने अंडमान द्वीप समूह से मात्र 60 किलोमीटर की दूरी पर म्यांमार के कोको द्वीप पर चीनी गतिविधियों पर आपत्ति दर्ज कराई है। भारत ने दबाव बनाया है कि म्यांमार कोको द्वीप समूह पर चीनी गतिविधियों पर रोक लगाए।
कोको द्वीप पर अब तक एयर स्ट्रिप और कुछ अन्य निर्माण कार्य भी हो चुके हैं। यहां चीनी जहाज कई बार देखे गए हैं और सूत्रों का कहना है कि चीन यहां जासूसी उपकरण लगा रहा है।
कोको द्वीप से भारत के पूर्वी तट की निगरानी संभव
कोको द्वीप से भारत के पूर्वी तट पर हर वक्त नजर रखी जा सकती है। भारत का मिसाइल परीक्षण केंद्र भी यहीं है। यहां से होने वाले मिसाइल परीक्षण की पूरी जानकारी चीन को तुरंत हो सकती है। हिंद महासागर के बड़े हिस्से पर चीन नजर रख सकेगा।
मैप में लाल गोले के जरिए कोको द्वीप को दिखाया गया है।
मैप में लाल गोले के जरिए कोको द्वीप को दिखाया गया है।
भारत ने म्यांमार को दिए सैटेलाइट तस्वीरों के सबूत
भारत ने म्यांमार को कई सैटेलाइट तस्वीरें भी साझा की हैं, जिसमें कोको पर जारी गतिविधियां नजर आ रही हैं। वहीं, म्यांमार की सैन्य तानाशाह सरकार ने कोको द्वीप समूह पर किसी भी तरह की चीनी गतिविधियों से इनकार किया है।
म्यांमार के प्रवक्ता जेनरल जॉ मिन तुन कहते हैं- कोको द्वीप पर चीन जासूसी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित कर रहा है, यह बेकार की बात है। भारत अच्छी तरह जानता है कि यहां सिर्फ म्यांमार की सेना अपनी सुरक्षा के लिए तैनात है। किसी और देश का यहां कोई हस्तक्षेप नहीं है।
सैटेलाइट इमेज में कोको द्वीप पर बनी एयरस्ट्रिप दिखाई दे रही है।
सैटेलाइट इमेज में कोको द्वीप पर बनी एयरस्ट्रिप दिखाई दे रही है।
सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगा भारत: विदेश मंत्रालय
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची कहते हैं- भारत अपनी सुरक्षा को देखते हुए जरूरी कदम उठाएगा। वहीं म्यांमार में तैनात चीनी राजदूत ने इस बारे में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।
दूसरी ओर, 1990 से ही यह बात सामने आ रही है कि म्यांमार ने चीन को यहां इंटेलीजेंस सुविधाएं दे रखी हैं। लंदन के पॉलिसी रिसर्च संस्थान चैटहम हाउस की हाल ही में जारी रिपोर्ट के बाद यह मामला और गरम हो गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कोको द्वीप समूह पर म्यांमार सैन्य बेस बना रहा है।