देश में कंज्यूमर लोन कल्चर बदल रहा है। कभी वॉशिंग मशीन, फ्रिज, एसी के अलावा गाड़ियां और घर के लिए शुरू हुआ कंज्यूमर लोन मार्केट अब ‘बाय नाउ पे लेटर’ जैसे इनोवेशन तक पहुंच गया है। बड़े पैमाने पर डिजिटल लोन लिए जा रहे हैं। 2022 में 22.17 लाख करोड़ के डिजिटल लोन बंटे 2030 तक इसके 4.75 गुना बढ़कर 107 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।
दरअसल देश में बढ़ती युवा आबादी, टेक्नोलॉजी का तेज विकास, स्मार्टफोन की बढ़ती तादाद और सस्ते डेटा जैसी सहूलियतों से देश के डिजिटल लोन और कंज्यूमर फाइनेंस मार्केट में अभूतपूर्व तेजी देखी जा रही है। स्टार्टअप प्लेटफॉर्म आईएनसी42 और ग्लोबल डेटा एनालिटिकल फर्म एक्सपेरियन की रिसर्च के मुताबिक, 4-5 साल में देश के फिनटेक मार्केट में डिजिटल चैनलों की हिस्सेदारी 40% हो जाएगी। 2030 तक ये आंकड़ा 60% तक पहुंचने के आसार हैं।
ऑनलाइन लैंडिंग की लागत कम होने से भी बढ़ रहा ये ट्रेंड
टेक्नोलॉजी के लगातार विकास के साथ ही ग्राहकों की बदलती जरूरतों के चलते भी कर्ज देने के कॉन्सेप्ट में बदलाव आ रहा है। इसके अलावा ऑनलाइन लेंडिंग की लागत भी कम होती है। रिजर्व बैंक ने ऑनलाइन लोन को लेकर नए नियम जारी कर दिए हैं। इसके चलते अब पेमेंट एग्रीगेटर्स का इस्तेमाल लोन चुकाने के लिए भी किया जा सकता है।
टेक्नोलॉजी ने बढ़ाया डिजिटल लोन मार्केट
साल | टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट |
2007 | नई जनरेशन के स्मार्टफोन |
2008 | मोबाइल बैंकिंग |
2009 | आधार (बायोमीट्रिक पहचान) |
2012 | 4जी नेटवर्क |
2014 | ईकेवायसी, एमएसएमई फिनटेक |
2015 | डिजिटल मॉर्गेज कंपनियों का उदय |
2016 | नोटबंदी से डिजिटल लेनदेन में बढ़ोतरी |
2020 | कोविड के चलते संपर्क रहित क्रेडिट अप्रैजल |
2023 | डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल लॉन्च |
एक दशक में 39.5% की स्पीड से हुई डिजिटल लोन ग्रोथ
बीते एक दशक के दौरान देश में डिजिटल लैंडिंग सालाना औसतन 39.5% की रफ्तार से बढ़ी है। स्टेटिस्टा की रिपोर्ट के अनुसार, 2012 में देश का डिजिटल लेंडिंग मार्केट मात्र 74 हजार करोड़ रुपए का था। 2021 में ये 16.42 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया।
10 सालों में 100 गुना से ज्यादा बढ़ा डिजिटल लोन
साल | डिजिटल लोन (राशि लाख करोड़ रुपए में) |
2012 | 0.74 |
2015 | 2.71 |
2019 | 9.03 |
2020 | 12.32 |
2021 | 16.42 |
2022 | 22.17 |
2023 | 28.75 (अनुमानित) |
2030 | 106.77 (अनुमानित) |