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अमेरिकी बैंक को बचाने के लिए ‘यस बैंक’ जैसा फॉर्मूला:11 बैंक फर्स्ट रिपब्लिक बैंक में 30 बिलियन डॉलर का निवेश करेंगे,

भारत के यस बैंक की तरह अमेरिका के फर्स्ट रिपब्लिक को डूबने से बचाने के लिए अमेरिका के 11 बड़े बैंक आगे हैं। ये बैंक्स फर्स्ट रिपब्लिक में 30 बिलियन डॉलर (करीब 2.5 लाख करोड़ रुपए) का निवेश करेंगें। ताकि डिपॉजिटर्स को पैसे निकालने में दिक्कत न हो। इन 11 बैंकों में जेपी मॉर्गन, सिटीग्रुप, बैंक ऑफ अमेरिका, वेल्स फार्गो, मॉर्गन स्टेनली, US बैंकॉर्प, ट्रुइस्ट फाइनेंशियल, PNC फाइनेंशियल शामिल हैं।

जेपी मॉर्गन, बैंक ऑफ अमेरिका, सिटीग्रुप और वेल्स फार्गो ने 5-5 बिलियन डॉलर की फंडिंग करने की बात कही है। वहीं, गोल्डमैन सैच और मॉर्गन स्टैनले 2.5 बिलियन डॉलर की मदद देंगे। बाकी के बैंक भी छोटी-मोटी पूंजी लगाएंगे। इससे पहले रविवार को फर्स्ट बैंक ने बयान जारी कर बताया था कि उसे जेपी मॉर्गन और फेडरल रिजर्व से 70 बिलियन डॉलर के फंड का एक्सेस मिल गया था।

भारत में यस बैंक को बचाने 8 बैंक सामने आए थे
इससे पहले भारत के यस बैंक को बचाने के लिए भी कुछ इसी तरह से 8 बैंक सामने आए थे। रिकंस्ट्रक्शन स्कीम के शुरू किए जाने के बाद से यस बैंक के वित्तीय प्रदर्शन में धीरे-धीरे सुधार हुआ है। प्राइवेट बैंक में निवेश करने वाले निवेशकों के सामने यह शर्त रखी गई है कि उन्हें बैंक में अपने कुल निवेश की 75 फीसदी राशि को लॉक-इन पीरियड में रखना होगा।

फर्स्ट रिपब्लिक के शेयरों में रिकवरी, 10% चढ़े

6 मार्च के बाद से फर्स्ट रिपब्लिक के शेयरों तेज गिरावट देखने को मिल रही थी। बैंक के शेयर करीब 70% टूट चुके थे। 6 मार्च को इसका शेयर 122 डॉलर प्रति शेयर पर बंद हुआ था। फिर 8 मार्च को ये 115 डॉलर प्रति शेयर पर आ गया। 16 मार्च को एक समय ये 20 डॉलर के नीचे तक फिसल गया था, लेकिन इसके बाद बैंकों की मदद की खबर से मजबूती लौटी और ये करीब 10% चढ़कर 34.27 डॉलर पर बंद हुआ।

बैंकों में भरोसे को दर्शाता है यह कदम
पूंजी डालने वाले अमेरिकी बैंकों ने कहा, ‘ये कदम फर्स्ट रिपब्लिक और सभी साइज के बैंकों में उनके भरोसे को दर्शाता है। वहीं अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी जेनेट येलेन, फेडरल रिजर्व बोर्ड के चेयरमैन जेरोम पॉवेल और फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस के चेयरमैन मार्टिन ग्रूनबर्ग ने कहा, ‘बैंकों का ये कदम बहुत स्वागत योग्य है। ये हमारे बैंकिंग सिस्टम के लचीलेपन को दिखाता है।’

भारतीय बैंकों पर अमेरिकी बैंकिंग संकट का असर नहीं
अमेरिका के बैंकिंग संकट का असर भारतीय बैंकों पर नहीं होगा। अमेरिकी इन्वेस्टमेंट कंपनी जेफरीज और फाइनेंशियल सर्विसेस फर्म मैक्वेरी ने कहा था कि स्थानीय डिपॉजिट पर निर्भरता, सरकारी बॉन्ड में निवेश और पर्याप्त नकदी के चलते भारतीय बैंक मजबूत स्थिति में हैं।

भारत के यस बैंक को बचाने भी आए थे 8 बैंक
यस बैंक को बचाने के बाद SBI के नेतृत्व में आठ वित्तीय संस्थानों ने बैंक में 10,000 करोड़ रुपए डाले थे। रेस्क्यू प्लान के तहत 13 मार्च 2020 को ये रुपए डाले गए थे। इन निवेशकों को 10 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से शेयर एलोकेट किए गए थे। SBI ने शुरुआत में यस बैंक में 49% हिस्सेदारी हासिल करने के लिए 6,050 करोड़ रुपए का निवेश किया था।

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