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सिंधु ऑल इंग्लैंड ओपन के पहले ही दौर में हारीं:इस साल लगातार तीसरे टूर्नामेंट के पहले दौर से बाहर,

दो बार की ओलंपिक पदक विजेता पीवी सिंधु ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप 2023 टूर्नामेंट में बुधवार को पहले दौर में हारकर बाहर हो गई। वहीं चैपिंयनशिप के दूसरे दिन भारतीय महिला जोड़ी ने बड़ा उलटफेर किया। त्रेसा जॉली और गायत्री गोपीचंद पुलेला ने 7वीं सीड जोड़ी जोंगकोलफान किटीथाराकुल और राविंडा प्रजोंगजाई को शिकस्त दी।

दुनिया की नौवें नंबर की खिलाड़ी सिंधु को महिला एकल मुकाबले में चीन की खिलाड़ी झांग यी मैन के खिलाफ सीधे गेम में 17-21, 11-21 से हार का सामना करना पड़ा। दोनों के बीच बराबरी की टक्कर देखने को मिली, लेकिन अंत में चीन की खिलाड़ी को जीत मिली। सिंधु इस साल लगातार तीसरे टूर्नामेंट के पहले दौर से बाहर हुई है। इससे पहले वह इस साल जनवरी में खेले गए मलेशिया ओपन और इंडिया ओपन के पहले दौर से बाहर हो गई थीं। वहीं जॉली और गायत्री की जोड़ी ने किटीथाराकुल और प्रजोंगजाई को 21-18, 21-14 से हराया।

झांग और सिंधु का आपसी रिकॉर्ड
इस जीत के साथ झांग ने सिंधु के खिलाफ हार-जीत का अपना रिकॉर्ड सुधारते हुए 2-1 कर लिया। सिंधु और झांग की भिड़ंत 1-1 से बराबरी पर है। इन दोंनो खिलाड़ियों की आखिरी भिड़ंत मलेशिया में 2022 में हुई थी, जिसे सिंधु ने सीधे गेमों में जीता था। इससे पहले झांग ने सिंधु को 2022 में हराया था।

पहले दिन एचएस प्रणय और लक्ष्य सेन जीते
ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैपिंयनशिप के पहले दिन एचएस प्रणय और लक्ष्य सेन पहला राउंड जीतकर दूसरे राउंड में पहुंच गए। एचएस प्रणय ने ताइवान के वांग जू-वी को हराया। मंगलवार को खेले गए इस मुकाबले में भारतीय शटलर ने लगातार दो गेम्स 21-19 और 22-20 से जीतकर दूसरे दौर में अपनी जगह बना ली। वहीं, लक्ष्य सेन ने भी ताइवान के ही चाउ टीएन-चेन को हराकर उनके अगले दौर में पहुंचने की उम्मीदों को तोड़ दिया। सेन ने यह मुकाबला 21-18, 21-19 से जीत लिया।

भारत को 22 साल से खिताब का इंतजार
भारत की ओर से देखे तो इस टूर्नामेंट में अब तक 2 बार ही भारतीय खिलाड़ी जीते है। भारत को 22 साल से खिताब की आस है। आखिरी बार इस खिताब को फुलेला गोपीचंद ने 2001 में जीता था। गोपीचंद से पहले इसे प्रकाश पादुकोण ने साल 1980 में पहली बार जीता था। हालांकि पीवी सिंधु साल 2015 और लक्ष्य सेन साल 2022 में टूर्नामेंट के फाइनल तक पहुंच चुके हैं, लेकिन जीत नहीं सके।

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