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रेवाड़ी में बैंक पर 20 हजार का जुर्माना:किसान को नहीं दिया ‌बर्बाद फसल का पूरा मुआवजा; अब ब्याज समेत देना होगा

हरियाणा के रेवाड़ी में एक किसान की बर्बाद फसल का पूरा मुआवजा नहीं देना बैंक को भारी पड़ गया। उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने ब्याज सहित पूरी राशि देने का आदेश देते हुए 20 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।

इतना ही नहीं इस केस पर खर्च हुए किसान के 11 हजार रुपए देने का भी आदेश दिया। किसान ने अपनी फसल का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा कराया था।

ओलावृष्टि से खराब हो गया था बाजरा
रेवाड़ी जिले के गांव मालाहेड़ा निवासी चंद्रो देवी ने साल 2018 में अपने खेत में बाजरा की फसल बोई थी। इस जमीन पर चंद्रो देवी के अतिरिक्त उनके बेटे जगरूप सिंह व प्रकाश भी हिस्सेदार है। परिवार ने गांव मालपुरा स्थित PNB की शाखा के सहयोग से ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अपनी फसल का बीमा कराया था।

बीमा के लिए 2913 रुपए की राशि बतौर प्रीमियम भी अदा की थी। ओलावृष्टि के कारण 4 एकड़ में खड़ी बाजरा की फसल खराब हो गई थी।

119 रुपए भेज दी मुआवजा राशि
फसल नष्ट होने के बाद शिकायतकर्ता को 119 सिर्फ रुपए की मुआवजा राशि भेजी गई थी। इसके बाद 6 अप्रैल 2019 को 770 रुपए क्षतिपूर्ति राशि भेजी गई, जबकि फसल का सही मुआवजा राशि 35 हजार रुपए दी जानी थी। इतनी कम राशि मिलने पर वह इंश्योरेंस कंपनी के पास भी पहुंचे, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई।

आयोग में दर्ज कराई शिकायत
पूरी मुआवजा राशि नहीं मिलने पर चंद्रो देवी, जगरूप व प्रकाश ने एडवोकेट धनेश कुमार के जरिए जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में याचिका दायर कर पूरी मुआवजा राशि दिलाने की गुहार लगाई थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए आयोग के चेयरमैन संजय कुमार खंडूजा और सदस्य डा. ऋषि दत्त कौशिक व डॉ. अमिता अग्रवाल ने अपने निर्णय दिया है।

आयोग ने अपने निर्णय में कहा है कि बैंक की ओर से शिकायतकर्ता को मुआवजा की पूरी राशि दी जानी चाहिए थी, लेकिन साक्ष्य बताते हैं कि केवल 119 रुपए बाजरा की फसल बर्बाद होने का मुआवजा दिया गया, जो कि किसी भी तरह मान्य नहीं है। आयोग ने बैंक को दोषी करार देते हुए 34 हजार 230 रुपए मुआवजा राशि व 7 हजार 441 रुपए ब्याज 45 दिन के अंदर भुगतान करने के आदेश दिए हैं।

आयोग ने बैंक पर 20 रुपए जुर्माना लगाते हुए 11 हजार रुपए वाद खर्च देने के आदेश भी दिए है। आयोग ने इस मामले में इंश्योरेंस कंपनी और डायरेक्टर कृषि विभाग को क्लीन चिट देते हुए आदेश में लिखा है कि सारी गलती बैंक के द्वारा की गई थी, क्योंकि पोर्टल पर सही जानकारी उपलब्ध कराना बैंक की जिम्मेवारी थी।

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