15 मार्च, बुधवार को चैत्र महीने की अष्टमी तिथि पर सूर्य कुंभ से निकलकर मीन राशि में आ गया है। जिससे खरमास शुरू हो गया है। जो कि 14 अप्रैल तक रहेगा। ज्योतिष ग्रंथों के मुताबिक इस दौरान मांगलिक कामों के लिए कोई मुहूर्त नहीं होगा। सिर्फ पूजा-पाठ और व्रत किए जाएंगे। इस महीने में सूर्य देव और भगवान विष्णु की उपासना करने का विधान ग्रंथों में बताया गया है। इसलिए खरमास के दौरान आने वाली एकादशी को बहुत खास माना जाता है।
खरमास की एकादशी 18 मार्च को
पद्म और विष्णुधर्मोत्तर पुराण के मुताबिक खरमास में भगवान विष्णु की पूजा करने की परंपरा है। इस महीने में आने वाली एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से मिलने वाला पुण्य फल लंबे समय तक शुभदायी रहता है।
18 मार्च, शनिवार का सूर्योदय चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की एकदशी में होगा। सूर्योदय व्यापिनी तिथि होने से इस दिन एकादशी व्रत और पूजा की जाएगी। चैत्र मास की इस एकादशी पर व्रत और पूजा करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।
स्नान-दान से मिलेगा पुण्य
ग्रंथों में कहा गया है कि खरमास के दौरान पूजा-पाठ के साथ ही पवित्र नदियों में स्नान और तीर्थों में दान करने की परंपरा है। इससे पुण्य मिलता है। 18 मार्च को एकादशी होने से इस दिन किए गए स्नान-दान से मिलने वाला पुण्य और बढ़ जाएगा।
पापमोचिनी एकादशी पर सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। इसके बाद पानी में गंगाजल या किसी भी पवित्र नदी के जल की कुछ बूंदे मिलानी चाहिए। साथ ही उस पानी में थोड़े से तिल भी डालने चाहिए। ऐसे पानी से नहाने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म होते हैं और तीर्थ स्नान करने जितना पुण्य मिलता है।
चैत्र मास की एकादशी पर पवित्र स्नान करने के बाद उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। फिर तिल, कपड़े, नमक, गुड़ और घी दान करने का विधान है। साथ ही इस दिन जरुरतमंद लोगों को खाना खिलाने कई गुना पुण्य फल मिलता है।