15 मार्च, बुधवार को सूर्य कुंभ राशि से निकलकर मीन में आ जाएगा। इस दिन मीन संक्रांति मनेगी। इस दिन सूर्य, सुबह करीब 6.40 पर राशि बदलेगा। इसलिए स्नान-दान के लिए पुण्य काल इसी दिन रहेगा। ज्योतिष शास्त्र मे सूर्य को सभी ग्रहों का पिता माना गया है। सूर्य के उत्तरायन और दक्षिणायन होने से ही मौसम और ऋतुएं बदलती हैं। हिन्दू धर्म मे संक्रांति का बहुत ज्यादा महत्व है। इसलिए इसे पर्व कहा जाता है।
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में सूर्य पूजा कर के अर्घ्य देने से शारीरिक परेशानियां दूर होती हैं। परिवार में बीमारियां नहीं आती। भगवान आदित्य के आशीर्वाद से दोष भी दूर हो जाते हैं। इससे प्रतिष्ठा और सम्मान बढ़ता है। इस दिन खाद्य वस्तुओं, वस्त्रों और गरीबों को दान देने से दोगुना पुण्य मिलता है।
मीन संक्रांति पर तीर्थ स्नान
इस पर्व पर सूर्योदय से पहले नहाना और खासतौर से गंगा स्नान का बहुत महत्व है। ग्रंथों का कहना है कि संक्रांति पर्व पर तीर्थ स्नान करने वाले को ब्रह्म लोक मिलता है। देवी पुराण में कहा गया है कि संक्रांति के दिन जो नहीं नहाता वो बीमारियों से परेशान रहता है। संक्रांति के दिन दान और पुण्य कर्मों की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
मीन संक्रांति का महत्व
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा अमावस्या और एकादशी तिथि का जितना महत्व है उतना ही महत्व संक्रांति का भी है। संक्रांति के दिन स्नान ध्यान और दान से देवलोक की प्राप्ति होती है। मीन संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठें। पानी मे गंगाजल और तिल डालकर नहाएं। सूर्य को अर्घ्य दें। मंदिर जाकर श्रद्धा अनुसार दान करें। ब्राह्मणों भोजन कराएं। बिना तेल-घी एवं तिल और गुड़ से बनी चीजें ही खाएं।
मीन संक्रांति से मौसम में बदलाव
मीन संक्रांति को बहुत खास माना गया है। क्योंकि इस समय कभी फाल्गुन तो कभी चैत्र महीने का शुक्ल पक्ष रहता है। डॉ. मिश्र कहते हैं कि सूर्य के मीन राशि में आने के बाद ही वसंत ऋतु शुरू होती है। पतझड़ के बाद नए मौसम की शुरुआत होने लगती है। मीन और मेष संक्रांति के दौरान वसंत ऋतु और हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। इस मौसम में चैत्र नवरात्र, रामनवमी जैसे खास पर्व आते हैं।