खाने-पीने की चीजों के दाम कुछ कम होने से फरवरी में महंगाई दर घटने का अनुमान है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के बास्केट में लगभग आधी हिस्सेदारी खाद्य पदार्थों की ही होती है।
बीते माह अंतरराष्ट्रीय और घरेलू बाजार में गेहूं जैसे खाद्यान्न के भाव घटे हैं। सरकार ने सप्लाई भी बढ़ाई है। इसका असर खुदरा महंगाई के आंकड़ों पर दिखेगा, लेकिन बढ़ती ब्याज दरों के मामले में राहत मिलने के आसार नहीं हैं।
रिजर्व बैंक के टारगेट से ऊपर ही रहेगी खुदरा महंगाई
अर्थशास्त्रियों के मुताबिक खुदरा महंगाई दर कुछ कम होने के बावजूद रिजर्व बैंक के टारगेट से ऊपर ही रहेगी। इसकी वजह से मौद्रिक नीति की सख्ती जारी रहने का अनुमान है। दरअसल महंगाई पर लगाम लगाने के अस्थायी प्रयासों के बावजूद पिछले साल सामान्य से ज्यादा गर्मी के चलते कुछ फसलों का उत्पादन घटा था।
रिटेल महंगाई दर 6.35% रहने का अनुमान
ऐसे में निकट भविष्य में महंगाई ज्यादा ही रहने की आशंका है। 43 अर्थशास्त्रियों के बीच 2 से 9 मार्च तक कराए गए एक सर्वे में बीते माह रिटेल महंगाई दर 6.35% रहने का अनुमान लगाया गया है। इसके मुकाबले जनवरी में महंगाई 6.52% रही थी।
खराब मौसम, रुपए में गिरावट का दिख सकता है असर
सोसायटी जनरल के अर्थशास्त्री कुणाल कुंडू ने कहा कि अगली कुछ तिमाहियों तक महंगाई ज्यादा बढ़ने की संभावना नहीं है। लेकिन इसके कम होने की रफ्तार धीमी रहेगी। पिछले साल रुपए में 10% से ज्यादा गिरावट का असर भी महंगाई पर दिख सकता है।
रिजर्व बैंक की सख्त पॉलिसी में ढिलाई की संभावना नहीं
खाने की चीजें और एनर्जी को छोड़कर कोर इन्फ्लेशन में फिलहाल कोई कमी नजर नहीं आ रही। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक फरवरी में ये 6% की सीमा से ऊपर ही रहेगी। इसके चलते आरबीआई की मौद्रिक नीति में ढिलाई की संभावना नहीं है। ब्याज दरें और बढ़ सकती हैं।