अमेरिका ने इंटेलिजेंस रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि कोरोना चीन के वुहान लैब से ही फैला है। सोमवार को अमेरिकी एनर्जी डिपार्टमेंट ने वायरस से जुड़ी फाइनल रिपोर्ट पेश की। एनर्जी डिपार्टमेंट ने पहले कहा था कि वायरस के ओरिजन का पता नहीं चल पा रहा है, लेकिन अब उसका मानना है कि वायरस के वुहान लैब से लीक होने की संभावना सबसे ज्यादा है।
एनर्जी डिपार्टमेंट के अधिकारियों का कहना है कि दुनियाभर में फैली US बायोलॉजी लैब्स से उन्हें खुफिया जानकारी मिली। इसी इनपुट के आधार पर फाइनल रिपोर्ट पेश की गई है। हालांकि, कुछ अधिकारियों का मानना है कि ये रिपोर्ट काफी कमजोर है। इसका निष्कर्ष किसी ठोस बुनियाद पर नहीं निकाला गया है। अमेरिका की कई एजेंसियां के बीच अब भी वायरस के ओरिजन को लेकर मतभेद हैं।
फाइनल रिपोर्ट नेशनल इंटेलिजेंस की डायरेक्टर एवरिल हैन्स ने पेश की।
पहले भी चीन पर आरोप लगे, सरकार ने खारिज किए
रिपोर्ट में दावा किया गया कि सुरक्षा में चूक होने की वजह से वायरस वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (WIV) से लीक हुआ था। इसके बाद महज कुछ दिनों में यह पूरी दुनिया में फैल गया। कोरोना महामारी की शुरुआत से ही वुहान लैब से कोरोना लीक होने की कई थ्योरी आ चुकी हैं। यहां काम करने वाले रिसर्चर्स विशेष रूप से कोरोना वायरस की प्रजातियों को स्टडी करते हैं। ऐसे में किसी वैज्ञानिक के जरिए इसका संक्रमण फैलने की आशंका है। हालांकि, हमेशा से ही चीनी सरकार और वुहान लैब ने इन आरोपों को खारिज किया है।
अमेरिका पर भी लग चुके हैं वायरस फैलाने के आरोप
तीन महीने पहले एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने दावा किया था कि अमेरिकी सरकार चीन में कोरोना वायरस बनाने के प्रोजेक्ट को फंड कर रही थी।
ये तस्वीर चीन और कोरोना के लिंक का खुलासा करने का दावा करने वाले वैज्ञानिक एंड्रू हफ की है।
वैज्ञानिक एंड्रू हफ का कहना था कि कोरोना वायरस पर हो रही रिसर्च को अमेरिका की मेडिकल रिसर्च एजेंसी नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ (NIH) का सपोर्ट था। इसने ही चीन को वायरस बनाने की तकनीक दी। यह किसी बायोवेपन टेक्नोलॉजी से कम नहीं था।
चीन को पहले दिन से खबर थी
हफ का कहना है कि चीन को पहले दिन से यह पता था कि कोरोना कोई नेचुरल वायरस नहीं है, बल्कि इसे जेनेटिकली मॉडिफाई कर बनाया गया है। तभी यह लैब से लीक हुआ है। इसके बावजूद सुरक्षा और लोगों को आगाह करने में ढील दी गई। चीन ने न सिर्फ बीमारी के आउटब्रेक के बारे में झूठ बोला, बल्कि उसे प्राकृतिक साबित करने की हर कोशिश की।
2021 में पहली बार लैब से लीक की आशंका रिपोर्ट में शामिल हुई थी
महामारी की शुरुआत 2019 में हो गई थी। मगर वायरस के ओरिजिन की जांच जनवरी, 2021 में शुरू हो पाई। 17 अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ थे और 17 चीनी एक्सपर्ट चीन के वुहान पहुंचे। वुहान में जांच का काम पूरा होने से पहले स्वतंत्र जांच टीम के सदस्य पीटर बेन इम्बारेक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वायरस के ओरिजिन के संभावित पाथ-वे सार्वजनिक किए थे।
ये तस्वीर 14 जनवरी, 2021 की है, जब अंतरराष्ट्रीय जांच टीम वुहान पहुंची थी।
इनमें लैब लीक थ्योरी भी शामिल थी। इस रिपोर्ट में कहा था कि कोरोना वायरस के किसी लैब एक्सीडेंट की वजह से लीक होने की थ्योरी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।