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होलाष्टक 27 फरवरी से 7 मार्च तक:होलाष्टक में क्यों नहीं किए जाते हैं शुभ काम? जानिए धर्म और ज्योतिष से जुड़ी मान्यताएं

कल यानी सोमवार, 27 फरवरी से होलाष्टक शुरु हो रहे हैं, इस बार ये 8 नहीं 9 दिन के रहेंगे। 7 मार्च को होलिका दहन के बाद 8 तारीख को होलाष्टक खत्म होगा। इस बार एक तिथि बढ़ने से होलाष्टक का एक दिन बढ़ गया है। 28 फरवरी और 1 मार्च को दो दिन नवमी तिथि रहेगी। मान्यता है कि इन दिनों में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नए व्यापार की शुरुआत जैसे शुभ कामों नहीं किए जाते हैं। जानिए इस परंपरा से जुड़ी धार्मिक और ज्योतिषीय वजह…

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, होलाष्टक के संबंध में धर्म और ज्योतिष की अलग-अलग मान्यताएं हैं। ज्योतिष के अनुसार होलाष्टक के दिनों में अधिकतर ग्रहों की स्थिति शुभ कार्यों के नजरिए से सही नहीं रहती है। इस कारण इन दिनों में शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं। अगर इन दिनों में कोई शुभ किया जाता है तो उसमें सफल होने की संभावनाएं बहुत कम रहती हैं।

प्रहलाद और हिरण्यकश्यपु से जुड़ी है होलाष्टक की मान्यताएं

ज्योतिषी और विद्वानों के द्वारा होली यानी फाल्गुन पूर्णिमा से पहले की आठ तिथियों में शुभ काम नहीं करने की सलाह दी जाती है। दरअसल, ये इन आठ तिथियों में हिरण्यकश्यपु ने अपने पुत्र प्रहलाद को तरह-तरह की यातनाएं दी थीं, वह अपने पुत्र को मारना चाहता था। भगवान विष्णु की कृपा से हर बार प्रहलाद बच जाता था। तब हिरण्यकश्यपु की बहन होलिका ने प्रहलाद को मारने योजना बनाई।

होलिका को आग में न जलने का वरदान मिला हुआ था। फाल्गुन पूर्णिमा पर होलिका प्रहलाद को लेकर आग में बैठ गई। उसने सोचा था कि आग में वह नहीं जलेगी और प्रहलाद जल जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। प्रहलाद तो बच गया, लेकिन होलिका जल गई। बाद में विष्णु जी ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यपु का वध किया और प्रहलाद को सभी यातनाओं से मुक्ति दिलाई।

होलाष्टक में यानी होली से पहले की आठ तिथियों में प्रहलाद को यातनाएं दी गई थीं, इस वजह से इन दिनों में शुभ कामों के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं।

​​​​​​​होलाष्टक में पूजा-पाठ के साथ ही दान-पुण्य जरूर करें

होली से पहले इन आठ तिथियों पर पूजा-पाठ, मंत्र जप और ध्यान करने का विशेष महत्व है। इन दिनों में किए गए जप और ध्यान से नकारात्मक विचार दूर होते हैं, मन शांत होता है और भक्ति में मन लगा रहता है।

भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण का अभिषेक करें। शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। रोज शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं। हनुमान चालीसा का पाठ करें।

पूजा-पाठ के साथ ही इन दिनों में दान-पुण्य जरूर करें। जरूरतमंद लोगों को अनाज, कपड़े, जूते-चप्पल, धन का दान करें। किसी गोशाला में हरी घास और गायों की देखभाल के लिए धन दान करें।

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