ब्रिटेन के पहले भारतवंशी प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के चार महीने पूरे हो गए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की राय है कि उनका प्रदर्शन बुरा नहीं रहा है। चार महीने में उन्होंने प्रगति की है, अर्थव्यवस्था पटरी पर आने लगी है। कारोबारी समुदाय में उनको समर्थन मिल रहा है। सीट बेल्ट न पहनने पर जुर्माने जैसे मामलों के बीच जानकारों का कहना है कि चार महीने का समय कम है, फिर भी नतीजे बेहतर रहे तो वे वोटरों को वादे पूरा करने का यकीन दिला सकेंगे।
महंगाई कम करना लक्ष्य
कारोबारी कुंदन शर्मा ने भास्कर से कहा कि सुनक ने पांच मुद्दों महंगाई, कर्ज, अर्थव्यवस्था, इमिग्रेशन और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लक्ष्य तय किए हैं। राजनीतिक विशेषज्ञ मैथ्यू डेविस का कहना है कि सुनक ने पार्टी की कलह काे दबा दिया। बाजारों में स्थिरता है, वित्तीय संकट टल गया है। हड़तालों एनएचएस में संकट, चुनावी रेटिंग में गिरावट से चुनावी प्रदर्शन पर आलोचक जरूर सवाल उठा रहे हैं।
आर्थिक संकेतकों में सुधार
महंगाई कम करने और कर्ज घटाने पर कुंदन शर्मा का कहना है कि सुनक ने आर्थिक स्थिरता कायम की है। वे जब आए थे तो महंगाई दर 41 साल में सर्वाधिक 11.1 % पर थी जो 10.5 % रह गई है। कॉन्फेडरेशन ऑफ ब्रिटिश इंडस्ट्री के डीजी टोनी डेकर का कहना है कि उथल-पुथल भरे दौर के बाद पीएम ने अर्थव्यवस्था को संभाला है।
इस साल ग्रोथ कम रहेगी
इक्विटी एनालिस्ट सोफी येट्स का कहना है कि सुनक ने ग्रोथ का वादा किया था लेकिन यह इस साल कठिन है। पहले के मुकाबले आईएमएफ ने 2023 के लिए ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के 0.6% से कम होने का अनुमान लगाया है। जी-7 विकसित देशों में केवल ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में ही कमी आने के संकेत मिल रहे हैं।