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गर्मी में झेलनी पड़ सकती है बिजली कटौती:फरवरी में ही कई जगह पारा 40 पार, अप्रैल में 229 गीगावाट पहुंच सकती है

इस साल गर्मी में लोगों को भारी बिजली कटौती का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि, देश के कुछ हिस्सों में तापमान फरवरी महीने में ही 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। हाई टेम्प्रेचर के कारण हाल के हफ्तों में बिजली की मांग लगभग रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची है। गर्मी के दबाव ने देश में बिजली आपूर्ति को लेकर चिंता अभी से बढ़ा दी है।

पावर स्टेशनों को पहले ही गर्मी के मौसम में ब्लैकआउट से बचने और घरेलू कोयले की आपूर्ति पर दबाव घटाने के लिए इम्पोर्टेड कोयले का उपयोग करके अगले तीन महीनों तक पूरी क्षमता से बिजली उत्पादन करने का आदेश दिया गया है।

रिकॉर्ड 229 गीगावाट तक पहुंच सकती है बिजली की मांग
जनवरी में बिजली की पीक डिमांड 211 गीगावाट पर पहुंच गई थी, जो पिछली गर्मियों में ऑल टाइम हाई के करीब थी। बीते साल कोरोना महामारी के प्रतिबंधों को हटाने के बाद हेवी इंडस्ट्री फिर से शुरू हुई थी और देश की जनता ने भीषण परिस्थितियों का सामना किया था।

तब गर्मी ने 122 साल पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिया था। भारत के ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार इस साल अप्रैल में बिजली की मांग रिकॉर्ड 229 गीगावाट तक पहुंच सकती है।

किसानों को फसलों की जांच करने की सलाह दी
पिछले सप्ताह कुछ क्षेत्रों में टेम्परेचर नॉर्मल से 11 डिग्री ऊपर रहा है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने किसानों को गर्मी के चलते गेहूं और अन्य फसलों की जांच करने की सलाह दी है। गर्म मौसम की असामान्य शुरुआत से पूर्वानुमान है कि सिंचाई पंप और एयर कंडीशनर की जोरदार बिक्री के कारण बिजली की खपत बढ़ेगी। ये इस चिंता को बढ़ावा दे रहा है कि लगातार दो वर्षों के व्यवधान के बाद देश का ऊर्जा नेटवर्क नए दबाव में आ जाएगा।

बिजली कटौती के अलावा कोई विकल्प नहीं
राजस्थान के उत्तरी राज्य में बिजली मंत्री भंवर सिंह भाटी ने कहा, ‘जिस तरह से तापमान बढ़ रहा है – फरवरी में यह असामान्य है। स्थिति हमारे लिए चिंता का विषय बन रही है।” यहां पहले से ही घरों और किसानों को बिजली की आपूर्ति की जा रही है। ‘बिजली की मांग पिछली गर्मियों की तुलना में 20% से 30% तक बढ़ सकती है। बिजली आपूर्ति में कटौती के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।’

बिजली स्टेशनों पर कोयले का भंडार टारगेट से काफी नीचे
भारत में 70% से अधिक बिजली कोयले से बनती है। बिजली स्टेशनों पर कोयले का भंडार वर्तमान में 45 मिलियन टन के टारगेट से काफी नीचे है, जिसे सरकार ने मार्च के अंत तक पूरा करने को कहा था। ओडिशा के ऊर्जा मंत्री प्रताप केशरी देब ने कहा कि गर्मियों में भारत की बिजली की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता भी काफी हद तक पर्याप्त कोयले का खनन और परिवहन सुनिश्चित करने के प्रयासों से तय होगी।

बिजली आप तक कैसे पहुंचती है?
बिजली तीन स्टेज से होकर हम तक पहुंचती है। पहली स्टेज प्रोडक्शन, दूसरी ट्रांसमिशन और तीसरी डिस्ट्रीब्यूशन स्टेज होती है। बिजली का प्रोडक्शन करने वाली कंपनियों को जेनकोज (GenCos) कहा जाता है। GenCos बिजली को ट्रांसमिशन करने वाली कंपनियों यानी ट्रांसकोज को भेजती है। फिर ट्रांसमिशन कंपनियां बिजली को डिस्ट्रीब्यूशन करने वाली कंपनियों (डिस्कॉम्स) तक पहुंचाती हैं। यह कंपनियां ही आपके घरों तक बिजली पहुंचाती है।

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