फुटबॉल ने खेल में तकनीक को समय-समय पर बढ़ावा दिया है। इसी क्रम में बॉडी-कैमरे का इस्तेमाल होना शुरू हुआ है। मिडिल्सब्रू, लिवरपूल, वॉर्सेस्टर और एसेक्स की लोअर लीग के मैच में रेफरी की बॉडी पर कैमरा लगाकर नया प्रयोग किया जा रहा है। दरअसल, कई बार खिलाड़ी मैच की गहमा-गहमी में अच्छे बर्ताव की सीमा अक्सर पार कर जाते हैं। वे रेफरी के साथ हिंसक तक हो जाते हैं। कई बार मारपीट की नौबत आई है।
बॉडी कैमरे की मदद से रिकॉर्ड की गई वीडियो को किसी खिलाड़ी के खिलाफ उसके बर्ताव पर चल रही सुनवाई में इस्तेमाल किया जा सकेगा। एक्सपर्ट्स का मानना है कि रेफरी के शरीर पर कैमरा लगाने से मैदान पर खिलाड़ियों के प्रदर्शन में सुधार आएगा। बॉडी कैमरा बनाने वाली कंपनी लोअर लीग के 100 रेफरी पर इसे आजमाएगी।
साथ ही, रेफरियों को कैमरा इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दी जाएगी। तीन महीनों बाद इन कैमरों का विश्लेषण किया जाएगा, जिसमें देखा जाएगा कि क्या बॉडी कैमरे की वजह से खिलाड़ियों के बर्ताव में कोई सुधार होता है या नहीं।
फुटबॉल एसोसिएशन के अध्यक्ष मार्क बलिंघम बताते हैं, ‘रेफरी फुटबॉल के सबसे अहम भाग है। हमने सारे रेफरी से फीडबैक लिया। इसके बाद उस पर काम किया। हमें उम्मीद है कि ये प्रयोग रेफरी के लिए बेहतर साबित होगा।’
FA के रेफरी के अध्यक्ष बताते हैं कि कई रेफरी ने अपनी जिंदगी फुटबॉल को दी है। उन्हें सम्मान मिलना चाहिए।
फीफा वर्ल्ड कप में भी इस्तेमाल हुई थीं कई नई तकनीक, दिव्यांग भी खेल का मजा ले पाए थे