चीन के कर्ज में डूबे श्रीलंका का संकट कम नहीं हो रहा है। महंगाई 57% पर चल रही है। आर्थिक तंगी के चलते खाने-पीने की चीजों के साथ ही फ्यूल और मेडिसिन की खासी किल्लत है। इसके चलते श्रीलंका सुरक्षा से समझौता करने को मजबूर हो गया है। वह मौजूदा दो लाख जवानों के बल को एक तिहाई घटाएगा। वह करीब 1.35 लाख जवान ही रखेगा। इतना ही नहीं, 2030 तक वह जवानों का आंकड़ा कम कर 1 लाख तक सीमित करेगा।
हालांकि, इस बारे में सरकार का कहना है कि कटौती का कदम उठाकर वह तकनीकी और रणनीतिक रूप से मजबूत और संतुलित रक्षा बल तैयार कर रहा है। संकट से उबरने के उपायों के तहत श्रीलंका अपने सालाना बजट में भी 6% की कटौती करेगा।
इस बीच, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के दौरे से श्रीलंका को बड़ी राहत मिली है। उनके कोलंबो पहुंचने से श्रीलंका को इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF)से कर्ज मिलने का रास्ता साफ हो गया। दूसरी ओर, श्रीलंकाई सरकार के सूत्रों का कहना है कि जयशंकर के पहुंचते ही चीन दबाव में आ गया। उसने भी श्रीलंका को राहत देने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने चीन से भारी कर्ज लिया था।
भूखा बचपन: पेरेंट्स से कह रहे- बच्चों को स्कूल न भेजें
तंगहाली के चलते श्रीलंका की दर्दनाक स्थिति भी उजागर हो रही हैै। स्कूलों में बच्चों को खाना नहीं बंट पा रहा है। पेरेंट्स से स्कूल कह रहे हैं कि बच्चों को खाली पेट और लंच दिए बगैर स्कूल न भेजें। दक्षिणी श्रीलंका के मथुगामा में होरावाला महा विद्यालय की वाइस प्रिंसिपल अनोमा श्रीयांगी धर्मवर्धने के मुताबिक प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे भूखे आ रहे हैं।
प्रार्थना में रोज 20-25 बच्चे बेहोश होते हैं। मिडडे मील के लिए हम दान पर आश्रित हैं। संस्था फूड फर्स्ट इंफॉर्मेशन एंड एक्शन नेटवर्क के अध्यक्ष एस विश्वलिंगम के अनुसार, श्रीलंका में इस वक्त 20% बच्चे बगैर नाश्ते के स्कूल पहुंच रहे हैं। इधर, पेरेंट्स के सामने भी संकट है।
मातृत्व संकट : गर्भवती महिलाओं को भी नहीं मिल पा रहा पेटभर खाना
श्रीलंका में उन महिलाओं की भी स्थिति खराब है, जो गर्भवती हैं। कुछ NGO का कहना है कि देश की 10% गर्भवती इस वक्त कुपोषण का शिकार हैं। उन्हें पौष्टिक खाना तो दूर दो वक्त की रोटी भी नहीं मिल रही है। दूसरी बार बच्चे को जन्म देने जा रही कंचना ने बताया कि डॉक्टर ने कहा है कि उनकी सेहत गिरी हुई है। अगर उन्होंने खाने-पीने पर ध्यान नहीं दिया तो उनके गर्भ में पल रहे बच्चे का विकास प्रभावित होगा।
बढ़ता मर्ज: कैंसर समेत गंभीर रोगियों को दवा नहीं, पैरासिटामॉल की किल्लत
श्रीलंका में रोगियों की हालत खराब है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों को दवाएं नहीं मिल रही हैं। मुख्य कैंसर अस्पताल में दवाओं की खासी किल्लत है। सरकारी मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन के प्रवक्ता वासन रत्नासिंगम ने कहा- ओपीडी में पैरासिटामॉल, विटामिन सी और सलाइन जैसी बुनियादी दवाएं भी मुश्किल से मिल पा रही हैं। कैंसर और नेत्र अस्पताल जैसी विशेषज्ञ सुविधाएं दान के भरोसे चल रही हैं।