पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने पहली बार खुलकर ये माना है कि उनके मुल्क को भारत के साथ कश्मीर समेत तमाम मुद्दों पर बातचीत की जरूरत है। शाहबाज के मुताबिक- पाकिस्तान ने भारत के साथ तीन युद्ध लड़े और इनसे सिर्फ गरीबी और भुखमरी मिली।
अब से सिर्फ 9 महीने पहले इमरान खान वजीर-ए-आजम थे। खान साढ़े तीन साल के टेन्योर में सिर्फ एक राग अलापते रहे कि अगर भारत कश्मीर में आर्टिकल 370 और धारा 35A बहाल कर दे तो ही बातचीत हो सकती है। तब शाहबाज भी इसी लाइन पर चल रहे थे।
सवाल ये है कि 9 महीने में ऐसा क्या हुआ कि दुनिया की इकलौती मुस्लिम एटमी ताकत को भारत के सामने घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। यहां हम ऐसी 5 वजहें बता रहे हैं, जिनके चलते शरीफ और उनका मुल्क भारत के रहम की भीख मांग रहा है। आखिर में हम ये भी जानेंगे कि आखिर क्यों चंद घंटे बाद अपनी कही बातों से पलट गए।
दिवालिया होने का खतरा
शुक्रवार को पाकिस्तान के फेडरल रिजर्व ब्यूरो ने बताया कि मुल्क के पास 4.4 अरब डॉलर का फॉरेक्स रिजर्व यानी विदेशी मुद्रा भंडार है। इससे तीन हफ्ते के इम्पोर्ट्स भी नहीं किए जा सकते। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने साफ कर दिया है कि जब तक उसकी शर्तें नहीं मानी जातीं तब तक पाकिस्तान को 1.6 अरब डॉलर के कर्ज की किश्त नहीं मिलेगी। समझौता 6 किश्तों में 9 अरब डॉलर देने का हुआ था। अब तक 3 अरब डॉलर की 2 किश्तें ही जारी की गईं हैं और यह पैसा कर्जों की किश्तें और फौज की सैलरी पर ही खर्च हो चुका है।
रोचक बात यह है कि पाकिस्तान IMF से सबसे ज्यादा बेलआउट पैकेज हासिल करने वाला देश है। यह 23वीं बार है जब पाकिस्तान को IMF की सख्त शर्तों पर कर्ज के लिए हाथ फैलाना पड़ रहा है। इसके बावजूद वो दिवालिया होने से बच पाएगा, इसमें शक है और इस शक की वजह भी वाजिब है।
दरअसल, ऑयल और गैस के साथ ही पाकिस्तान को खाने का तेल और गेहूं भी इम्पोर्ट करना पड़ रहा है। इसके लिए फंड्स कहां से आएंगे? यही सबसे बड़ा सवाल है, क्योंकि सऊदी अरब और UAE भी अब सख्त शर्तें थोप रहे हैं।
भारत क्यों जरूरी : पिछले दिनों पाकिस्तान के मशहूर पत्रकार हामिद मीर ने एक टीवी शो में कहा था- अगर भारत सरकार श्रीलंका को अरबों डॉलर कैश, फ्यूल, दवाइयां और गेहूं-चावल देकर मदद कर सकती है तो हम उससे रिश्ते सुधारकर अपनी मुश्किलें कम क्यों नहीं कर सकते।