हॉकी वर्ल्ड कप 2023 में नीदरलैंड्स की तरफ से बतौर रिजर्व खिलाड़ी मौजूद डेनिस वार्मरडम से 5 साल पहले डॉक्टरों ने कभी हॉकी न खेल पाने की बात कही थी। 2 साल से ज्यादा समय तक उनके दाएं हाथ में दर्द था। उन्होंने कई डॉक्टरों से इलाज और सर्जरी करवाई, लेकिन इससे उनकी तकलीफ और बढ़ती गई। 2 साल तक कई टेस्ट करवाने के बाद पता चला कि उन्हें मसल कैंसर है।
डेनिस वार्मरडम नीदरलैंड टीम में बतौर रिजर्व खिलाड़ी हैं।
डॉक्टरों ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी बीमारी जानलेवा नहीं है, लेकिन इसका सिर्फ एक ही इलाज है कि उन्हें अपना हाथ कटवाना होगा। वार्मरडम ने दूसरे डॉक्टर से सलाह ली, जिन्होंने एक और सर्जरी बताई। हालांकि, इस सर्जरी के सफल होने की संभावना सिर्फ 1% थी। कैंसर का इलाज शुरू करवाने से पहले वार्मरडम एक आखिरी बार हॉकी खेलने की सोच के साथ अपने क्लब की तरफ से मैदान में उतरे।
इस मैच में सभी खिलाड़ियों ने वॉर्म-अप के दौरान वार्मरडम की 13 नंबर की जर्सी पहनी और खेल के बाद उन्हें कंधे पर उठाया। वार्मरडम इस दौरान अपने आंसुओं को नहीं रोक सके। आखिरकार उनकी सर्जरी सफल रही। हालांकि, डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि वो अब दोबारा हॉकी नहीं खेल पाएंगे।
सर्जरी के बाद होश आने पर वार्मरडम ने अपने हाथ को हिलाया और कलाई को इस तरह मोड़ा जैसे वो एक हॉकी स्टिक पकड़े हों। इसके बाद उन्होंने एक ग्लास उठाने की कोशिश की, जिसमें वे सफल हुए। फिर वार्मरडम ने उस ग्लास में पानी भरा और उसे फिर उठाने की कोशिश की। इसमें भी वे कामयाब रहे। उन्हें उम्मीद मिली कि वो फिर हॉकी मैदान पर लौट सकेंगे
सर्जरी के चार महीने बाद ही हॉकी स्टिक पकड़ ली
वार्मरडम ने सर्जरी के 4 महीने बाद हॉकी स्टिक पकड़ ली। 1 साल बाद उन्होंने अपने क्लब के लिए पहला मैच खेला। वे ओलिंपिक पूल का हिस्सा भी बने। वे टीम की तरफ से ब्लोमेंडाल के लिए भी चुने गए और लीग में सर्वोच्च गोल करने वाले खिलाड़ियों में से एक रहे। फिलहाल वे राउरकेला में अपनी टीम के रिजर्व प्लेयर हैं और उन्हें पूरी उम्मीद है कि वे टूर्नामेंट में एक बार मैदान में जरूर उतरेंगे।