हर साल लाखों बच्चे जंग की वजह से अनाथ हो जाते हैं। इनकी दुर्दशा और चुनौतियों को दुनिया के सामने लाने के लिए 6 जनवरी को वर्ल्ड डे फॉर वॉर ऑर्फन्स मनाया जाता है। इस वक्त रूस, यूक्रेन, इजराइल, फिलिस्तीन, आर्मेनिया, अजरबैजान, सीरिया, सोमालिया और यमन जैसे देशों में जंग छिड़ी हुई है। इसके चलते न जाने कितने बच्चे अपने माता-पिता को खो चुके हैं।
UNICEF के डेटा के मुताबिक, दुनियाभर में 15 करोड़ 30 लाख अनाथ बच्चे हैं। हर दिन 5 हजार 700 बच्चे जंग, गरीबी, बीमारी या आपदा के कारण अनाथ हो रहे हैं। आइए वो तस्वीरें देखते हैं, जो जंग झेल रहे मासूमों की कहानी बयां करती हैं…
सोमालिया में चल रहे गृहयुद्ध ने बच्चों से उनका बचपन छीन लिया है। यहां हर दिन बच्चों को प्रताड़ित किया जा रहा है। उनके स्कूलों पर हमले किए जाते हैं। उन्हें जबरन ही जंग लड़ने के लिए हथियार थमा दिए जाते हैं। लड़कियों की जबर्दस्ती शादी कराई जाती है और उनसे रेप किया जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, यहां जंग से मरने वाले बच्चों की संख्या दुनिया के किसी भी देश से सबसे ज्यादा है।
तालिबान ने 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद से ही देश के हालात बदतर होते जा रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, राजधानी काबुल में करोड़ों डॉलर की मदद आना बंद हो गई है। इससे अनाथ बच्चों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। ऑर्फनेज स्टाफ बच्चों के खाने-पीने में कटौती कर रहा है।
सीरिया में पिछले 12 साल से जंग जारी है। इस समय करीब 56 लाख बच्चों को मदद की जरूरत है। UN की एक रिपोर्ट के अनुसार, 25 लाख से ज्यादा बच्चों को देश छोड़कर जाना पड़ा। इनमें से लाखों बच्चे अपने माता-पिता से बिछड़ गए। इन पर केमिकल अटैक जैसे हमले किए गए। इन्हें आज भी कई अमानवीय तरीकों से टॉर्चर किया जा रहा है।
सीरिया में जंग से प्रभावित हुए लाखों बच्चे तुर्की में रह रहे हैं। यहां न तो उन्हें ठीक से खाना मिलता है, न ही शिक्षा जैसे सुविधाएं। कई बच्चों को पढ़ाई छोड़कर अपने परिवार को पालने के लिए काम करना पड़ता है। यह तस्वीर तुर्की के हेते प्रांत की है। सीरिया से आए ज्यादातर बच्चे यहीं रहते हैं।
संयुक्त राष्ट्र (UN) ने पिछले साल अगस्त में चेतावनी दी थी कि यूक्रेन के अनाथालयों में विकलांग बच्चों को अमानवीय स्थिति में रखा जा रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे बच्चों की संख्या एक लाख तक है। जंग के कारण विकलांग बच्चों को बुरी तरह नजरअंदाज किया जा रहा है। यह तस्वीर अनाथालय में रहने वाले वेसिल वेलीचको की है। उसे मिर्गी के साथ कई विकलांगताएं हैं। ऑर्फनेज स्टाफ वेलीचको को कड़ी धूप में घंटों बेंच पर बांधे रखता है।
यमन में 1945 के बाद से अब तक का सबसे बुरा मानवीय संकट चल रहा है। हाल ही में UN ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि यमन में 2015 के बाद से 11 हजार बच्चे मारे गए हैं या घायल हुए है। यह आंकड़ा और भी ज्यादा हो सकता है। यहां 20 लाख से ज्यादा बच्चों की स्कूली पढ़ाई बंद हो चुकी है। 5 साल से कम उम्र के लगभग 10 लाख बच्चे कुपोषण का शिकार बन सकते हैं। यह तस्वीर 2015 की है।
रूस-यूक्रेन के बीच जंग से अनाथ बच्चों की मुश्किलें बढ़ गईं। पिछले महीने यूक्रेन ने दावा किया था कि युद्ध की शुरुआत से लेकर अब तक रूस ने 13 हजार बच्चों को अगवा किया है। रूसी सैनिक अनाथालयों में घुसकर बच्चों को उठा ले जाते हैं। ऐसे में यहां का स्टाफ बच्चों को अपने ही घरों में छुपाने के लिए मजबूर है। यह तस्वीर यूक्रेन के खेरसन के पास एक अनाथालय में रहने वाले मिशी की है। अगवा होने के डर से इसे कहीं और शिफ्ट किया गया।
यह तस्वीर अजरबैजान में रहने वाली 5 साल की हदीजा की है। 2020 में आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच हो रही जंग में यह अनाथ हो गई थी। उसके माता-पिता और बड़ी बहन आर्मेनिया की मिसाइल स्ट्राइक में मारे गए थे। यह हमला उनके घर पर हुआ था। आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच नागोर्नो-काराबाख इलाके को लेकर विवाद है।