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व्रत कैलेंडर 2023:इस साल 24 की बजाय 25 एकादशी रहेंगी, अधिक मास की वजह से ऐसा होगा; मई में तीन बार किया जाएगा ये व्रत

इस साल हिंदी कैलेंडर में अधिक मास होने से 24 की बजाय 25 एकादशी व्रत किए जाएंगे। यानी 2023 में एक एकादशी ज्यादा रहेगी। आमतौर पर अंग्रेजी कैलेंडर के एक साल में 24 एकादशी होती हैं। लेकिन 2021 में पौष महीना जनवरी और दिसंबर में फिर होने से 25 एकादशी व्रत किए गए। उससे पहले 2020 में भी ऐसा हुआ था। तब अधिक मास होने से जुलाई में 3 एकादशी व्रत थे।

ज्योतिषीय गणना के मुताबिक, ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं। ये महीने में दो बार आती है। एक शुक्ल पक्ष के बाद और दूसरी कृष्ण पक्ष के बाद। पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं। इस तरह साल 24 एकादशी तिथियों को अलग-अलग नाम दिए गए हैं। हर एकादशी का अपना अलग महत्व है।

यज्ञ से भी ज्यादा फल देता है एकादशी व्रत
पुराणों के मुताबिक, एकादशी को हरी वासर यानी भगवान विष्णु का दिन कहा जाता है। विद्वानों का कहना है कि एकादशी व्रत यज्ञ और वैदिक कर्म-कांड से भी ज्यादा फल देता है। पुराणों में कहा गया है कि इस व्रत को करने से मिलने वाले पुण्य से पितरों को संतुष्टि मिलती है। स्कंद पुराण में भी एकादशी व्रत का महत्व बताया गया है। इसको करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।

पुराणों और स्मृति ग्रंथ में एकादशी व्रत
स्कन्द पुराण में कहा गया है कि हरिवासर यानी एकादशी और द्वादशी व्रत के बिना तपस्या, तीर्थ स्थान या किसी तरह के पुण्याचरण द्वारा मुक्ति नहीं होती। पदम पुराण का कहना है कि जो व्यक्ति इच्छा या न चाहते हुए भी एकादशी उपवास करता है, वो सभी पापों से मुक्त होकर परम धाम वैकुंठ धाम प्राप्त करता है।

कात्यायन स्मृति में जिक्र किया गया है कि आठ साल की उम्र से अस्सी साल तक के सभी स्त्री-पुरुषों के लिए बिना किसी भेद के एकादशी में उपवास करना कर्त्तव्य है। महाभारत में श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सभी पापों ओर दोषों से बचने के लिए 24 एकादशियों के नाम और उनका महत्व बताया है।

तारीख और वारएकादशी का नाम
2 जनवरी, सोमवारपौष पुत्रदा एकादशी
18 जनवरी, बुधवारषटतिला एकादशी
1 फरवरी, बुधवारजया एकादशी
16 फरवरी, गुरुवारविजया एकादशी
3 मार्च, शुक्रवारआमलकी एकादशी
18 मार्च, शनिवारपापमोचिनी एकादशी
1 अप्रैल, शनिवारकामदा एकादशी
16 अप्रैल, रविवारवरुथिनी एकादशी
1 मई, सोमवारमोहिनी एकादशी
15 मई, सोमवारअपरा और अचला एकादशी
31 मई, बुधवारनिर्जला एकादशी
14 जून, बुधवारयोगिनी एकादशी
29 जून, गुरुवारदेवशयनी एकादशी
13 जुलाई, गुरुवारकामिका एकादशी
29 जुलाई, शनिवारपद्मिनी एकादशी
12 अगस्त, शनिवारपरम एकादशी
27 अगस्त, रविवारपुत्रदा एकादशी
10 सितंबर, रविवारअजा-जया एकादशी
25 सितंबर, सोमवारजलझूलनी एकादशी
10 अक्टूबर, मंगलवारइंदिरा एकादशी
25 अक्टूबर, बुधवारपापांकुशा एकादशी
9 नवंबर, गुरुवाररमा-रंभा एकादशी
23 नवंबर, गुरुवारदेवउठनी एकादशी
8 दिसंबर, शुक्रवारउत्पन्ना एकादशी
23 दिसंबर, शनिवारमोक्षदा एकादशी

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