फीफा वर्ल्ड कप काे रोमांचक बनाने का श्रेय कई टीमों में शामिल रहे अफ्रीकन मूल के खिलाड़ियों को जाता है। इस बार की रनरअप टीम फ्रांस में सबसे ज्यादा अफ्रीकी मूल के खिलाड़ी थे। 32 टीमों में से कतर, फ्रांस, जर्मनी सहित 14 टीमों में अफ्रीकन मूल के खिलाड़ी शामिल थे। फ्रांस टीम में 14 खिलाड़ी थे, जबकि 2018 में 15 खिलाड़ी अफ्रीकी थे। सबसे ज्यादा गोल करने वाले एमबापे, साका, कोडी, वेलेंसिया, रैशफोर्ड जैसे खिलाड़ी अफ्रीकी मूल के हैं, जो यूरोप की अलग-अलग टीमों से खेले और जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
इस बार रनरअप रही फ्रांस की टीम में अफ्रीकन मूल के सबसे ज्यादा 14 खिलाड़ी शामिल थे
अफ्रीकी देश नियमित नहीं, इसलिए चले जाते हैं खिलाड़ी
एक रिपोर्ट्स के अनुसार, अफ्रीकी टीमें दुनिया के सर्वश्रेष्ठ देशों की टीम से नियमित मुकाबले नहीं खेलती हैं। इसके चलते ही अफ्रीकी देशों की टीमों की दावेदारी कम हुई है। अफ्रीका के शीर्ष देशों के 20% से कम मैच ही एलीट दावेदारों के खिलाफ हैं। वहीं, वर्ल्ड कप के सेमीफाइनलिस्ट और फाइनलिस्ट अपने सालभर के मैचों के 30% ही एलीट देशों के खिलाफ खेलते हैं। अफ्रीकी देश इन उच्चस्तरीय मैचों में से बहुत कम जीतते हैं। इसलिए अफ्रीकी मूल के खिलाड़ी दूसरे देशों से खेलने चले जाते हैं।
किलियन एमबापे के टूर्नामेंट में 8 गोल, फाइनल में हैट्रिक भी जमाई थी
टॉप गोल स्कोरर किलियन एमबापे के पिता विल्फ्रेड मूल रूप से कैमरून के हैं, जबकि उनकी मां फैजा लामारी अल्जीरियाई कबाइल मूल की हैं। एमबापे के पिता फुटबॉल कोच हैं, जबकि मां हैंडबॉल खिलाड़ी रह चुकी हैं। एमबापे ने टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा 8 गोल किए। फाइनल में हैट्रिक भी जमाई। 2018 में 4 गोल किए थे।