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भीम और दुर्योधन के युद्ध की सीख:जब भी कोई काम करते हैं तो उसे सही नियमों के अनुसार ही करें, छोटी सी गलती सब कुछ बर्बाद

लक्ष्य बड़ा हो या छोटा, जब तक सफलता नहीं मिल जाती, तब तक हमें लापरवाही नहीं करनी चाहिए। अंतिम समय पर की गई छोटी सी गलती भी पूरा काम बिगाड़ सकती है। ये बात भीम और दुर्योधन के युद्ध से समझ सकते हैं। दुर्योधन ने छोटी सी गलती की और भीम के हाथों मारा गया।

महाभारत युद्ध में पांडवों में कौरव पक्ष के सभी बड़े योद्धाओं को मार दिया था। युद्ध का अंतिम चरण आ चुका था। गांधारी को ये लगने लगा था कि अब दुर्योधन के प्राण संकट में आ गए हैं। तभी गांधारी ने दुर्योधन को आदेश दिया कि तुम स्नान करके पूरी तरह नग्न अवस्था में मेरे सामने आओ।

दरअसल गांधारी ने धृतराष्ट्र से विवाह के बाद से ही आंखों पर पट्टी बांध ली थी। गांधारी को वरदान मिला था कि जब भी वह आंखें खोलकर जिस इंसान को देखेगी, उस इंसान का पूरा शरीर लोहे का हो जाएगा। गांधारी चाहती थी कि दुर्योधन का पूरा शरीर लोहे का हो जाए, ताकि कोई उसे मार न सके।

माता का आदेश मानकर दुर्योधन पूरी तरह नग्न होकर अपनी माता गांधारी के शिविर में जा रहा था। रास्ते में दुर्योधन को श्रीकृष्ण मिल गए। श्रीकृष्ण ने दुर्योधन से कहा कि तुम अब बड़े हो गए हो और अपनी माता के सामने इस अवस्था में जाना अच्छी बात नहीं है। तुम्हें कम से कम जांघों पर तो कुछ ढंक लेना चाहिए।

श्रीकृष्ण की बातें दुर्योधन को सही लगी। उसने कुछ पत्तों से अपनी जांघ का हिस्सा ढंक लिया और इसी अवस्था में गांधारी के सामने पहुंच गया। गांधारी ने जैसे ही अपनी आंखों की पट्टी उतारी और दुर्योधन को देखा तो उसका पूरा शरीर लोहे का हो गया, सिर्फ वह हिस्सा सामान्य रह गया, जहां उसने पत्ते ढंके थे। जब गांधारी ने पत्तों को देखा तो वे समझ गई कि दुर्योधन ने गलती कर दी है।

जांघ पर वार करके भीम ने किया दुर्योधन का वध

युद्ध के अंतिम चरण में भीम और दुर्योधन का गदा युद्ध हुआ। भीम दुर्योधन के शरीर पर लगातार गदा से वार कर रहा था, लेकिन दुर्योधन का शरीर तो लोहे का बन चुका था। उस समय श्रीकृष्ण ने भीम को इशारा किया कि वह जांघ पर प्रहार करें। श्रीकृष्ण का इशारा मिलते ही भीम ने दुर्योधन की जांघ पर वार करना शुरू कर दिया। जांघ का हिस्सा लोहे का नहीं बना था, इस कारण वह घायल हो गया। इसके बाद उसकी मौत हो गई।

प्रसंग की सीख

इस किस्से की सीख यह है कि हम जब भी कोई काम करते हैं तो उसे सही तरीके से, सही नियम के साथ, जैसा आदेश दिया गया है, वैसा ही करना चाहिए। अगर हम अंतिम समय में छोटी सी भी गलत कर देते हैं तो पूरा काम बिगाड़ सकता है।

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