आज धृति, सर्वार्थ सिद्धि, प्रजापति और अमृत सिद्धि योग में प्रदोष व्रत रखा जा रहा है। इन चार शुभ योगों मे शिव-पार्वती पूजा का फल और बढ़ जाएगा। ये व्रत भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए खास होता है। 22 को यानी कल मासिक शिवरात्रि है। ये दिन भी भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन भी शिव पूजा के साथ व्रत रखा जाता है। अगले दिन यानी 23 दिसंबर को पौष मास की अमावस्या है। इस दिन शुक्रवार होने से शुभ संयोग बन रहा है। ग्रंथों में कहा गया है कि शुक्रवार की अमावस्या शुभ होती है।
प्रदोष और मासिक शिवरात्रि पूजा
प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नहाने का विधान है। सुबह घर पर ही पानी में पवित्र नदियों का जल डालकर स्नान किया जाता है। पूजा स्थान को साफ और पवित्र करके पूर्व दिशा में मुंह रखकर भगवान शिव-पार्वती के साथ ही गणेशजी और कार्तिकेय जी की पूजा की जाती है।
शिवजी को पंचामृत से स्नान करवाते हैं। आंकड़े के फूल, बेल पत्र, धतूरा, अक्षत आदि से पूजन कर नैवेद्य चढ़ाते हैं। इसके बाद कामना पूर्ति या जिस किसी विशेष प्रयोजन के लिए प्रदोष व्रत कर रहे हैं तो उसे बोलकर व्रत का संकल्प लिया जाता है। इसके साथ ही पूरे दिन बिना कुछ खाए संयम से रहकर व्रत पूरा किया जाता है।
शाम को प्रदोष काल में भगवान शिव का विधि-विधान से पूजन करें। अभिषेक करें। प्रदोष व्रत की कथा सुनें या पढ़ें। प्रदोष काल सूर्यास्त से लगभग 1 घंटा पूर्व का होता है। उस समय में ही प्रदोष का पूजन संपन्न करना चाहिए। शनिवार होने से इस दिन शनि देव की पूजा भी की जा सकती है।
बुध प्रदोष का महत्व
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि बुधवार को त्रयोदशी तिथि होने से बुध प्रदोष का योग बनता है। इस संयोग में भगवान शिव की पूजा और व्रत करने से हर तरह की परेशानियां दूर हो जाती है। शिवपुराण के मुताबिक प्रदोष व्रत करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वार के हिसाब से त्रयोदशी तिथि का संयोग बनने पर उसके फल का महत्व बदल जाता है।
बुधवार को प्रदोष व्रत रखने से नौकरी और बिजनेस में सफलता मिलती है। इस व्रत में भगवान शिव-पार्वती की पूजा से पहले गणेशजी की पूजा की जाती है। इससे हर तरह की मनोकामना पूरी हो जाती है। बुध प्रदोष का व्रत करने से हर तरह के रोग, शोक, दोष और कलह दूर हो जाते हैं।
शुक्रवार को अमावस्या होना शुभ
माना जाता है कि सौम्य वार में पड़ने वाली अमावस्या शुभ होती है। वहीं क्रूर वार के साथ अशुभ फल देने वाली होती है। ज्योतिष ग्रंथों में बताया गया है कि सोम, मंगल, शुक्र और गुरुवार को अमावस्या हो तो ये देश के लिए शुभ होती है। इस योग से अन्य अशुभ ग्रहों के असर में कमी आती है। शुक्रवार को पड़ने वाली इस तिथि में स्नान-दान से दोष और परेशानियां दूर हो जाती हैं। ये संयोग सौभाग्य और समृद्धि देने वाला होता है।