नई दिल्ली:
Kharmas 2022: खरमास का हमारे हिंदू धर्म में काफी महत्व होता है. ये महत्व इसलिए है क्योंकि इस दौरान किसी भी तरह के मांगलिक कार्यों को नहीं किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि, इन 30 दिनों के बीच अगर कोई मांगलिक कार्य किया जा रहा है तो वो अशुभ फल देगा. खरमास को अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है. इसे मलमास, अधिकमास भी कहते हैं. खास बात यह है कि खरमास के दौरान सूर्य (Sun) की रफ्तार भी धीमी पड़ जाती है. खरमास की शुरुआत 16 दिसंबर से हो रही है. आइए जानते हैं कि आखिर क्यों इस दौरान सूर्य की रफ्तार पर ब्रेक लगता है और क्यों इन दिनों में नहीं होते हैं मांगलिक कार्य.
कब है खरमास
खरमास 16 दिसंबर शुक्रवार से लग रहा है. ये चलेगा 14 जनवरी मकर संक्रांति तक. यानी इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य वर्जित रहेगा. वहीं खरमार तब लगता है कि, जब सूर्य का प्रवेश धनु राशि में होता है. सूर्य के इस राशि में पहुंचते ही मलमास की शुरुआत होती है और जो संक्रांति आती है वो धनु संक्रांति कहलाती है.
इस कारण से खरमास पर नहीं होते मांगलिक कार्य
मांगलिक कार्यों को खरमास में पूरी तरह वर्जित रखा जाता है. दरअसल मांगलिक कार्यों में तीन ग्रहों का बलवान होना आवश्यक होता है. ये तीन ग्रह हैं सूर्य, चंद्रमा और गुरु या ब्रहस्पति. ऐसे में खरमास के दौरान बृहस्पति गृह का बल कम हो जाता है. यही वजह है कि कमजोर होने की दशा में मांगलिक कार्य रुक जाते हैं. हालांकि संक्रांति पूरी होने पर ये मांगलिक कार्य दोबारा शुरू हो जाएंगे.
सूर्य की रफ्तार पर लगता है ब्रेक
खरमास में सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने की वजह से सूर्य की गति धीमी पड़ने लगती है. कुछ ग्रहों की हालत कमजोर होने लगती है, इस वजह से सूर्य की रफ्तार पर भी ब्रेक लग जाता है.