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Mokshada Ekadashi 2022: आज है मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती, जानें मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र

Mokshada Ekadashi 2022 Puja: मोक्षदा एकादशी 3 दिसंबर 2022 को है. जानते हैं मोक्षदा एकादशी का मुहूर्त, पूजा विधि और आखिर क्यों मनाई जाती है गीता जयंती.

मोक्षदा एकादशी 2022

Mokshada Ekadashi 2022 Puja: हर माह की एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है. मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी 3 दिसंबर 2022 को है. मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी पर व्रत, पूजा, मंत्र जाप और गीता का पाठ करने वालों को विकारों, पाप कर्मों से मुक्ति और मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है. मोक्षदा एकादशी पर ही भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से गीता का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है. आइए जानते हैं मोक्षदा एकादशी का मुहूर्त, पूजा विधि और आखिर क्यों मनाई जाती है गीता जयंती.

क्यों मनाई जाती है गीता जयंती ? (Geeta Jayanti 2022)

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संसार में किसी भी धर्म-संप्रदाय के ग्रंथ मनुष्यों ने लिखे या संकलित किए हैं, लेकिन गीता ही एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसका जन्म स्वयं भगवान कृष्ण के मुंह से हुआ है. यही वजह है कि सिर्फ श्रीमद्भागवत गीता ही ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है. गीता के 18 अध्यायों में जीवन का सत्य, ज्ञान और गंभीर सात्विक उपदेश दिए हैं जो मनुष्य के दुखों को दूर कर सुख का आभास कराते हैं.

मोक्षदा एकादशी 2022 मुहूर्त (Mokshada Ekadashi 2022 Muhurat)

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हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी तिथि 03 दिसंबर 2022 को सुबह 05 बजकर 39 मिनट से प्रारंभ हो रही है. अगले दिन यानी कि 04 दिसंबर 2022 रविवार को सुबह 05 बजकर 34 मिनट पर इसका समापन होगा.

  • मोक्षदा एकादशी व्रत पारण समय – दोपहर 01.20 – दोपहर 03.27 (4 दिसंबर 2022)
  • रवि योग – 3 दिसंबर 2022, सुबह 07:04 – 4 दिसंबर 2022, सुबह 06:16

मोक्षदा एकादशी पूजा विधि (Mokshada Ekadashi Puja Vidhi)

  • मोक्षदा एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करें और फिर श्रीहरि के समक्ष व्रत का संकल्प. ध्यान रखे एकादशी से एक दिन पहले दशमी पर सात्विक भोजन ही करें.
  • सूर्य देव को जल अर्पित करने के बाद माता तुलसी को जल चढ़ाएं और ग्यारह बार परिक्रमा लगाकर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करें.
  • शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु का दूध, दही, गंगाजल, शहद और शक्कर से अभिषेक करें. श्रीहरि को गोपी चंदन, गुलाल, रोली, मौली, पुष्प अर्पित करें. पूजा के समय विष्णु जी के मंत्रों का जाप करते रहें.
  • भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए सोलह बत्तियों का घी का दीपक जलाना शुभ माना गया है. संभव न हो तो सामान्य घी का धूप, दीप प्रज्वलित करें. साथ ही मां लक्ष्मी की पूजा करें.
  • मोक्षदा एकादशी व्रत कथा सुनें और श्रीमद्भागवत गीता का पाठ अवश्य करें. इससे मनोकामना जल्द पूर्ण होती है. अब आरती कर दें और रात में जागरण कर भजन कीर्तिन कर विष्णु जी की भक्ति करें.
  • एकादशी व्रत के दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, धन का दान करना शुभ फल प्रदान करता है.

एकादशी मंत्र (Ekadashi Mantra)

  • ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
  • मंगलम भगवान विष्णुः, मंगलम गरुणध्वजः। मंगलम पुण्डरी काक्षः, मंगलाय तनो हरिः॥
  • ॐ नमोः नारायणाय॥

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