चीन ने शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों के विरोध को दबाने का बड़ा दांव चला है। यहां की उइगर मुस्लिम आबादी की पहचान को खत्म करने के लिए उइगर लड़कियों की जबरन शादी चीनी युवाओं से कराई जा रही है।
चीन के हान समुदाय के युवाओं को शादी के लिए विशेष भत्ते दिए जा रहे हैं। वॉशिंगटन के उइगर ह्यूमन राइट प्रोजेक्ट (UHRP) के मुताबिक, कोई उइगर लड़की जबरन शादी का विरोध करती है तो उसके पेरेंट्स को जेल में डाल दिया जाता है।
चीन ने विभिन्न जेलों में 40 लाख उइगरों को कैद किया हुआ है। 5 साल में 12 हजार उइगरों को फांसी दी गई।
लड़की हान लड़के से शादी का विरोध नहीं कर सकती
UHRP के मुताबिक, कोई भी उइगर लड़की हान लड़के से शादी का विरोध नहीं कर सकती है। जिनपिंग के तीसरी बार कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव चुने जाने के बाद ही शिनजियांग प्रांत में 100 हान युवाओं और उइगर लड़कियों के विवाह कराए गए हैं। ये विवाह कम्युनिस्ट पदाधिकारियों की मौजूदगी में होते हैं।
हान-उइगर विवाह के लिए साढ़े 4 लाख रु.
हान लड़के को उइगर लड़की से विवाह करने पर लगभग साढ़े 4 लाख रुपए दिए जाते हैं। इस प्रकार के अंतरजातीय विवाह करने पर जोड़ों को मुफ्त आवास, मेडिकल सुविधा और अन्य प्रकार के विशेष भत्ते भी दिए जाते हें, लेकन ये सभी सुविधाएं हान लड़के के नाम पर ही जारी होती हैं।
जिनपिंग का वन नेशन, वन फैमिली प्रोजेक्ट
हान युवा और उइगर लड़कियों के बीच इस प्रकार के अंतरजातीय विवाह चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग का वन नेशन, वन फैमिली प्रोजेक्ट है। उनका मानना है कि इस प्रकार के अंतरजातीय विवाह से उइगर मुस्लिमों के विरोध को पश्चिमी शिनजियांग प्रांत में दबाया जा सकता है।
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शिनजियांग में उइगरों को टॉर्चर किया जा रहा, ये मानवता के खिलाफ अपराध है
चीन के शिनजियांग क्षेत्र में उइगर, जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यक हैवानियत का शिकार हो रहे हैं। यह खुलासा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग पर आई रिपोर्ट से हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया कि यहां लोगों के मानवाधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। उन्हें बंधक बनाकर टॉर्चर किया जा रहा है।
दुनिया में बढ़ रही चीनी पुलिस स्टेशनों की संख्या, ड्रैगन ने 21 देशों के 25 शहरों में अवैध थाने खोले
एक एक्टिविस्ट ग्रुप ने दावा किया है कि चीन दुनियाभर में अवैध पुलिस स्टेशन खोल रहा है। पॉलिटिकल एक्टिविस्ट्स और दूसरे देशों में रहने वाले चीनी नागरिकों को यहां बंदी बनाकर रखा जा रहा है। चीन की दूसरे देशों में ऐसी दखलंदाजी खतरे की घंटी है।