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हरियाणा पंचायत चुनाव के 2 फेज की INSIDE STORY:8 साल की एंटी इनकंबेसी की टेस्टिंग; किसान आंदोलन का करंट देखना चाहती है

हरियाणा में पहली बार 2 चरण में पंचायत चुनाव हो रहे हैं। शुक्रवार को राज्य के चीफ इलेक्शन अफसर (CEO) धनपत सिंह ने चंडीगढ़ में इसकी घोषणा की। हालांकि पंचायत चुनाव 2 चरणों में करवाने की वजह क्या रही?, इसको लेकर हर तरफ चर्चा है।

आयोग इसके लिए प्रबंधों की कमी का तर्क देता है लेकिन असल में यह हरियाणा सरकार की मजबूरी और प्लानिंग का हिस्सा है। 

1. ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की टेस्टिंग
भाजपा को हरियाणा में सरकार चलाते 8 साल हो चुके हैं। इस वक्त दूसरा कार्यकाल चल रहा है। उसे भी करीब 3 साल बीत चुके हैं। ऐसे में एंटी इनकंबेसी का डर स्वाभाविक है। सरकार पहले चरण के 10 जिलों में देखना चाहती है कि उनको राजनीतिक तौर पर कितना नफा-नुकसान हो रहा है?।

2. विपक्ष को पटखनी
सरकार एक साथ सभी जिलों में पंचायत चुनाव करवा देती तो विपक्ष भारी पड़ सकता था। एक साथ सब जगह फोकस करना संभव नहीं। इसीलिए 10 जिलों में पहले चुनाव करवा लिए। इसके बाद 12 जिलों में दूसरे चरण में होंगे। सरकार को दोनों चरणों में हर जिले पर फोकस करने का पूरा वक्त मिल जाएगा। जिससे विपक्ष को पटखनी देने में आसानी रहेगी।

3. दिग्गजों के गढ़ में मुश्किल न हो
पहले चरण में दिग्गज नेताओं के गढ़ में चुनाव नहीं है। मसलन, सीएम सिटी करनाल, CM मनोहर लाल खट्‌टर के गृह क्षेत्र रोहतक, गृह मंत्री अनिल विज के गृहक्षेत्र अंबाला और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के गृह जिला हिसार में दूसरे फेज में चुनाव हैं। पहला फेज निपटने के बाद दिग्गज यहां डेरा जमा लेंगे ताकि यहां की हार कहीं सरकार को शर्मसार न कर दे।

4. किसान आंदोलन का कितना असर बाकी
किसान आंदोलन खत्म 10 महीने बीत चुके हैं। यह आंदोलन केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ हुआ था। आंदोलन खत्म होने के बावजूद भाजपा के प्रति किसानों की नाराजगी ऐलनाबाद उपचुनाव में नजर आई थी। वहां भाजपा इनेलो के अभय चौटाला से हार गई। हरियाणा के किसानों में क्या अब भी नाराजगी है? इसको भी सरकार फेजवाइज चुनाव करवा परखना चाहती है।

आदमपुर उपचुनाव का भी गणित
हिसार की आदमपुर सीट पर उपचुनाव भी आड़े आया। आदमपुर में इस बार सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर है। 2019 में राज्य में दूसरी बार सरकार बनाने के बाद BJP बरौदा (सोनीपत) और ऐलनाबाद (सिरसा) सीट पर हुए उपचुनाव हार चुकी है। इस बार कांग्रेस से आए कुलदीप बिश्नोई को उम्मीदवार बनाना पड़ रहा है।

आदमपुर में सरकार हारी तो विपक्षी विरोधी लहर को मजबूत करेंगे। खासकर कांग्रेस जीती तो उसकी वापसी होगी और आम आदमी पार्टी (AAP) जीती तो उनकी विधानसभा में एंट्री अगले चुनावों में भाजपा के लिए खतरे की घंटी होगी। इसलिए पहले चरण में बड़े जिलों में पंचायत चुनाव न करवा सरकार आदमपुर पर फोकस करेगी।

पंचायत चुनाव में देरी से लोगों में भी नाराजगी
हरियाणा सरकार ने पंचायत चुनाव में देरी की है। इसकी वजह भले ही कोर्ट में चल रहे मामले हों लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में लोग नाराज हैं। पंचायतों का कार्यकाल 23 फरवरी 2021 को खत्म हो चुका है। तब पंचायतों को भंग कर शक्तियां अफसरों को दे दी गई। ग्रामीणों का कहना है कि अफसरों ने ध्यान नहीं दिया। विकास का पूरा फंड खर्च नहीं हुआ और गांव पिछड़ गए। इससे पहले भाजपा सरकार के दौरान 2016 में भी चुनाव में देरी हुई लेकिन तब 6 महीने बाद चुनाव हो गए थे।

2 चरणों के चुनाव पर CEO का तर्क
हरियाणा राज्य चुनाव आयोग के CEO धनपत सिंह ने पंचायत चुनाव के 2 चरणों में होने का कारण राज्य में पुलिस की कमी बताई। उनका कहना है कि 27-28 अक्टूबर को देश भर के पुलिस अधिकारियों की प्रधानमंत्री के साथ कान्फ्रेंस हैं। ऐसे में एक चरण में चुनाव कराना संभव नहीं था। चुनाव शांति पूर्ण तरीके से संपन्न हो इसलिए आयोग ने दो चरणों में चुनाव कराने का फैसला किया है।

राज्य के मुख्य चुनाव अफसर धनपत सिंह।

राज्य के मुख्य चुनाव अफसर धनपत सिंह।

हरियाणा में पुलिस की स्थिति भी जान लीजिए
हरियाणा की पौने तीन करोड़ आबादी की सुरक्षा 71 हजार 152 पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों पर टिकी है। एक पुलिसकर्मी पर 14,765 लोगों की सुरक्षा का जिम्मा है। हालांकि इसमें सवाल है कि अगर पुलिस की कमी है तो फिर सरकार क्या दूसरे राज्यों या केंद्र से मदद नहीं ले सकती?।

अब पढ़िए …. हरियाणा पंचायत चुनाव का शेड्यूल

​​​​​​​पहले फेज में पानीपत समेत 10 जिले शामिल​​​​​​​
पहले चरण में जिन 10 जिलों में पंचायत चुनाव होंगे, उनमें भिवानी, फतेहाबाद, झज्जर, जींद, कैथल, महेंद्रगढ़, नूंह, पंचकूला, पानीपत और यमुनानगर शामिल है। इन जिलों में 14 अक्टूबर से नामांकन शुरू हो जाएंगे जो 19 अक्टूबर तक चलेंगे। 20 अक्टूबर को नामांकन पत्रों की पड़ताल होगी। 21 अक्टूबर दोपहर तक नाम वापस लिए जा सकेंगे।​​​​​​​ जिला परिषद और पंचायत समितियों के लिए 30 अक्टूबर को मतदान होगा। सरपंच-पंचों के लिए वोटिंग 2 नवंबर को होगी। सरपंच-पंचों के लिए काउंटिंग मतदान खत्म होते ही शुरू हो जाएगी। जबकि जिला परिषद और पंचायत समितियों की मतगणना राज्य के बाकी जिलों में चुनाव खत्म होने के बाद एक साथ कराई जाएगी।​​​​​​​

इन 12 जिलों में चुनाव की एक हफ्ते बाद घोषणा
राज्य के जिन 12 जिलों में पंचायत चुनाव बाद में कराए जाएंगे उनमें हिसार, रोहतक, अंबाला, रेवाड़ी, करनाल, कुरुक्षेत्र, सोनीपत, पलवल, सिरसा, चरखी-दादरी, गुरुग्राम और फरीदाबाद शामिल है। राज्य के CEO धनपत सिंह का कहना है कि इनमें पंचायत चुनावों की घोषणा एक हफ्ते के बाद करेंगे।

हरियाणा पंचायत चुनाव से जुड़ी 10 अहम बातें

  1. 10 जिलों में पंचायत चुनाव के लिए 14637 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं। इनमें से 2997 बूथ सेंसिटिव और 3533 बूथ हाईपर सेंसिटिव हैं।
  2. नूंह को सबसे सेंसिटिव जोन में रखा गया है। दूसरे नंबर पर भिवानी और तीसरे नंबर पर जींद जिला है। ​​​​​​​पंचकूला सबसे कम सेंसिटिव बूथों वाला जिला है।
  3. जिला परिषद मेंबर चुनाव में सामान्य वर्ग के लिए शिक्षा 10वीं, महिला और SC वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 8वीं पास और SC महिला के लिए 5वीं पास होना जरूरी है।
  4. पंचायत समिति मेंबर, सरपंच और पंच के लिए सामान्य वर्ग के लिए 10वीं, महिलाओं और SC वर्ग के लिए के 8वीं पास जरूरी है। ​​​​​​​बैकवर्ड क्लासेज A के लिए शैक्षणिक योग्यता अनारक्षित वर्गों की तरह ही रहेंगी।
  5. पंच के सामान्य वर्ग के लिए सिक्योरिटी डिपॉजिट 250 रुपए और महिला, SC वर्ग और बैकवर्ड क्लास के लिए 125 रुपए, सरपंच के सामान्य वर्ग के लिए 500, रिजर्व कैटेगरी के लिए यह 250 रुपए है। पंचायत समिति मेंबर में सामान्य वर्ग के लिए 750 और रिजर्व के लिए 325, जिला परिषद मेंबर के सामान्य वर्ग के लिए 1000 रुपए और आरक्षित वर्ग के लिए 500 रुपए सिक्योरिटी डिपॉजिट रहेगा।
  6. पंच के लिए 50 हजार रुपए, सरपंच के लिए 2 लाख रुपए, पंचायत समिति मेंबर के लिए 3.60 लाख रुपए और जिला परिषद मेंबर के लिए 6 लाख की खर्च लिमिट रखी गई है।
  7. अगर किसी जगह NOTA के वोट दूसरे कैंडिडेट से ज्यादा आए तो वहां चुनाव रद होगा। दूसरी बार चुनाव करवाते वक्त पिछले कोई भी कैंडिडेट चुनाव नहीं लड़ सकेगा।
  8. इस चुनाव में 64 लाख 32 हजार 609 पुरुष मतदाता, 56 लाख 10 हजार 272 महिला और 192 थर्ड जेंडर मतदाता वोटिंग करेंगे।
  9. जिला परिषद सदस्य की 411, पंचायत समिति सदस्यों की 3081, सरपंच की 6,220 और पंचायत सदस्यों की 61,993 सीटों पर चुनाव होगा।
  10. सरपंच के चुनाव सीधे होंगे। पंचायत समितियों और जिला परिषद के सदस्य आगे चेयरमैन चुनेंगे।

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