मानसून सीजन खत्म होते ही पंजाब के किसानों ने धान की फसल उठाने के बाद पराली को आग लगाना शुरू कर दिया है। यही कारण है कि पराली जलाने के मामले में शुरुआत में ही पंजाब अव्वल आ गया है, जबकि दूसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश और तीसरे पर हरियाणा है। रविवार तक 3 दिन में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने के 193 मामले सामने आए। इनमें पंजाब पहले नंबर पर है।
AAP सरकार के प्रयास विफल
कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए हैप्पी सीडर मशीनों पर सब्सिडी के आवेदनों की समय सीमा बढ़ाई। उन्होंने मिट्टी में पराली को अवशोषित करने के लिए, कृषि विभाग के पायलट प्रोजेक्ट के तहत 5 हजार एकड़ में डी-कंपोजर घोल का छिड़काव करने की बात कही। कृषि विभाग कर्मियों की छुट्टियां निरस्त कीं, लेकिन राज्य सरकार की सभी तैयारियां नाकाफी साबित हुई हैं।
बारिश से खेतों में पानी भरने पर मिली थी राहत
गत 18 सितंबर से पहले पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की जाने लगी थीं। 21 सितंबर को पराली जलाने की 56 और 22 सितंबर को 30 घटनाएं दर्ज की गईं। इसके बाद पश्चिमी विक्षोभ और मध्य प्रदेश के ऊपर बने कम हवा के दबाव क्षेत्र के चलते उत्तर भारत में अच्छी बारिश हुई। इससे खेतों में पानी भर गया और नमी के कारण पराली जलाने की घटनाएं रुकी रहीं, लेकिन खेत सूखते ही पराली जलाने की घटनाएं तेजी से बढ़ने लगी हैं।
IARI ने की रियल टाइम मॉनिटरिंग
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) की रियल टाइम मॉनिटरिंग के मुताबिक, 23 से 29 सितंबर तक पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा की खेतों में पराली जलाने की कोई घटना दर्ज नहीं की गई, लेकिन खेतों के सूखने पर सबसे अधिक 136 मामले पंजाब में, 49 मामले उत्तर प्रदेश और 8 मामले हरियाणा में सामने आए।
तीन दिन में जली पराली का डाटा
30 सितंबर
पंजाब- 8
उत्तर प्रदेश- 10
हरियाणा- कोई नहीं
1 अक्टूबर
पंजाब- 45
उत्तर प्रदेश- 3
हरियाणा- 1
2 अक्टूबर
पंजाब- 83
उत्तर प्रदेश- 36
हरियाणा- 7