विमान उड़ाने वाली महिला पायलटों की संख्या के मामले में भारत दुनिया के सबसे अमीर माने जाने वाले देश अमेरिका से भी आगे निकल गया है। इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ वूमन एयरलाइन पायलट के मुताबिक, विश्व स्तर पर महिला पायलटों का प्रतिशत भारत में सबसे ज्यादा है।
सभी महिला पायलटों में से 12.4% भारत में हैं। दुनिया में सबसे बड़े विमानन बाजार अमेरिका में महिला पायलटों की संख्या 5.5% और ब्रिटेन में 4.7% है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, अधिक महिलाओं को काम पर रखने से एयरलाइंस को कर्मचारियों की कमी दूर करने में मदद मिल सकती है।
बोइंग कंपनी का अनुमान है कि अगले दो दशकों में दुनिया को 6 लाख से अधिक नए पायलटों की आवश्यकता होगी। बता दें कि महिला पायलटों का प्रदर्शन भी बेहतर है। कुछ स्टडी से यह भी पता चलता है कि महिला पायलटों की सुरक्षा की घटनाएं कम होती हैं। अधिक महिलाओं को काम पर रखने से एयरलाइंस को उन कर्मचारियों की कमी को दूर करने में मदद मिल सकती है, जो यात्रा को बाधित कर रहे हैं।
3 दशक पहले इक्का-दुक्का महिला पायलट थीं
आज भारत महिला पायलटों के मामले में भले ही दुनिया के लिए मिसाल हो, लेकिन तीन दशक ऐसी स्थिति नहीं थी। मसलन 1989 में भारत की निवेदिता भसीन दुनिया की सबसे कम उम्र की कमर्शियल एयरलाइन कप्तान बनीं थी। भसीन बताती हैं कि वह जब पायलट बनीं थीं, तब क्रू के लोग उन्हें जल्द से कॉकपिट में जाने का अनुरोध करते थे, ताकि यात्रियों को यह पता न चले कि उनका विमान महिला पायलट चला रही है और वे यह देखकर घबरा जाएं।
1989 में भारत की निवेदिता भसीन दुनिया की सबसे कम उम्र की कमर्शियल एयरलाइन कप्तान बनीं थी।
महिला पायलट तैयार करने के लिए एनसीसी में हवाई विंग का गठन
निवेदिता भसीन जैसे अग्रणी पायलट और लोगों का कहना है कि आउटरीच कार्यक्रमों से लेकर बेहतर कॉर्पोरेट नीतियों और मजबूत पारिवारिक समर्थन से भारतीय महिलाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है। कई भारतीय महिलाओं को 1948 में गठित राष्ट्रीय कैडेट कोर के एक हवाई विंग के माध्यम से उड़ान भरने के लिए तैयार किया गया था। ॉ
इसके माध्यम से छात्रों को माइक्रोलाइट विमान संचालित करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। महिलाओं के लिए महंगे कमर्शियल पायलट प्रशिक्षण को और अधिक सुलभ बनाने के लिए कुछ राज्य सरकारें सब्सिडी दे रही हैं। होंडा मोटर जैसी कंपनियां एक भारतीय फ्लाइंग स्कूल में 18 महीने के पाठ्यक्रम के लिए पूरी छात्रवृत्ति देती हैं और उन्हें नौकरी दिलाने में मदद करती हैं। साथ ही विशेष प्रशिक्षण के कई कार्यक्रम चलते हैं।