सेना में अग्निवीरों की भर्ती में जाति और धर्म के बारे में पूछे जाने पर कंट्रोवर्सी चल रही है। विपक्षी नेताओं के आरोप हैं कि जाति और धर्म के बारे में पहली बार पूछा गया।
उधर, सरकार का कहना है कि यह व्यवस्था पहले से लागू है और सेना की भर्ती से जाति या किसी भी धर्म का कोई लेना-देना नहीं।
हमने विपक्ष के आरोप और सरकार के जवाब की पड़ताल की तो पता चला कि सेना में कास्ट, कम्युनिटी और रीजन बेस्ड रेजिमेंट्स यानी सैन्य दल अंग्रेजों ने बनाए थे, जो आज भी कायम हैं। हालांकि, सेना की भर्ती में जाति, धर्म, समुदाय का कोई रोल नहीं होता।
खुद आर्मी ने 2013 में सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट जमा करते हुए कहा था कि सेना में जाति, क्षेत्र और धर्म के आधार पर भर्ती नहीं होती।
वहीं रेजिमेंट्स में एक ही क्षेत्र से आने वाले लोगों को जस्टिफाई करते हुए कहा था कि ऐसा एडमिनिस्ट्रेटिव और ऑपरेशनल रिक्वायरमेंट्स के चलते किया जाता है।
सरकार के प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो, यानी PIB ने 10 दिसंबर 2021 को बताया कि सेना में अभी कुल 27 इंफ्रेंट्री रेजिमेंट्स (पैदल चलने वाला सैन्यदल) हैं। इनमें सबसे पुरानी 1705 में बनी पंजाब रेजिमेंट है।