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यूथ में ‘0.5 सेल्फी’ का क्रेज बढ़ा:बैक कैमरे से सेल्फी को कूल मानते हैं, क्योंकि तिरछी तस्वीरें अच्छी लगती हैं

अमेरिका सहित अन्य देशों में अब बैक-कैमरे से ‘0.5 सेल्फी’ यानी आधी सेल्फी खींचने का क्रेज युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है। युवाओं का मानना है कि इस तरह ऑर्गेनिक और अधूरी तस्वीरें लेना उन्हें कूल बनाता है। इस तरह की तस्वीरें इंस्टाग्राम पर एक मजाकिया संदेश के साथ पोस्ट करना ट्रेंड बन चुका है। इसमें हैशटैग 0.5 सेल्फी लिखा जा रहा है।

दरअसल, युवा अब मोबाइल के बैक कैमरे को 0.5 टाइम्स जूम कर खुद की फोटो क्लिक करते हैं। इसमें चेहरा सामान्य तस्वीर के मुकाबले बड़ा नजर आता है। आंखें कैमरे को फेस नहीं करती और इंसान के पीछे का सीन भी छोटा दिखता है।

0.5 सेल्फी लेना आसान नहीं होता
खास बात यह है कि 0.5 सेल्फी लेना सामान्य सेल्फी के मुकाबले आसान नहीं, बल्कि मुश्किल है, क्योंकि इसमें अच्छी फोटो लेने के लिए जितना संभव हो हाथ को उतनी दूर ले जाना पड़ता है। बता दें कि 2019 में लॉन्च हुए स्मार्टफोन में ‘वाइड एंगल लेंस’ का फीचर आने लगा था। तब से ही हैशटैग 0.5 सेल्फी के कैप्शन लिखे फोटो तेजी से अपलोड हो रहे हैं। कई सुपरस्टार ऐसी सेल्फी पोस्ट कर चुके हैं।

की-पैड फोन का अहसास दिलाता है ‘0.5 सेल्फी’ का ट्रेंड
‘0.5 सेल्फी’ का ट्रेंड आपको की-पैड फोन का अहसास दिलाता है, क्योंकि तब 0.5 टाइम्स जूम नहीं हो पाता था। 2010 तक लॉन्च हुए ज्यादातर की-पैड मोबाइल में फ्रंट कैमरा नहीं होता था। तब भी बैक कैमरे से ही खुद की फोटो लेने का चलन था। अब वाइड एंगल लेंस का उपयोग हो रहा है।

1862 में ही आ गया था वाइड एंगल लेंस का कॉन्सेप्ट
वाइड एंगल लेंस का कॉन्सेप्ट 1862 में ही आ गया था। आर्किटेक्चर, लैंडस्केप और स्ट्रीट फोटोग्राफी के लिए इसका इस्तेमाल होता था। फ्रंट कैमरा के मुकाबले 0.5 सेल्फी लोगों को अच्छी यादें दे रही हैं, जो कुछ सालों बाद देखने पर हर व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान ले आती है।

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