इजराइल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट की गठबंधन सरकार पर संकट मंडरा रहा है। यह सरकार पहले ही अल्पमत में थी और उसके पास विपक्ष से सिर्फ एक सीट ज्यादा थी। अब इस एक सहयोगी ने भी अलायंस से बाहर आने का फैसला किया है। इजराइल में दो साल में चार सरकारें अल्पमत में रहीं और इसी वजह से चुनाव भी हुए।
‘टाइम्स ऑफ इजराइल’ की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बेनेट का बयान सामने आया है। बेनेट का कहना है कि अगले एक या दो हफ्ते में यह तय हो जाएगा कि उनकी सरकार रहेगी या गिर जाएगी।
बेनेट उन्हीं बेंजामिन नेतन्याहू को कुर्सी से हटाकर प्रधानमंत्री बने थे, जिन्हें उनका राजनीतिक गुरु माना जाता है।
सहयोगी क्यों नाराज
रिपोर्ट के मुताबिक, 8 पार्टियों के गठबंधन में शामिल अरब समर्थक पार्टी यूनाइटेड अरब लिस्ट फिलिस्तीन के मामले पर बेनेट सरकार से नाराज है। फिलिस्तीनी बस्तियों को लेकर इसका पहले भी सरकार से टकराव था। इस पार्टी का कहना है कि बेनेट सरकार फिलिस्तीन बस्तियों में यहूदियों को जगह दे रही है और यह अरब मूल के लोगों के साथ नाइंसाफी है।
बेनेट को एक और बड़ा झटका सोमवार को लगा। यामिना पार्टी के सांसद नीर ओरबाक ने गठबंधन से अलग होने का ऐलान कर दिया। इसके साथ ही सरकार 59 सीटों के साथ अल्पमत में आ गई। ओरबाक का आरोप है कि प्रधानमंत्री बेनेट अरब पार्टी के सामने घुटने टेक रहे हैं।यामिना पार्टी के सांसद नीर ओरबाक ने नफ्ताली बेनेट की गठबंधन सरकार से अलग होने का फैसला कर लिया है।
क्या नेतन्याहू की वापसी होगी?
‘टाइम्स ऑफ इजराइल’ की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू एक बार फिर सरकार बना सकते हैं। इसके लिए उन्हें सिर्फ दो सीटों का इंतजाम करना होगा। पॉलिटिकल एक्सपर्ट जैमनी मेरोज ने कहा- इजराइल की सियासत में कुछ तय नहीं है। इससे दुनिया में देश की इमेज पर भी असर पड़ता है। बेनेट उन्हीं नेतन्याहू को कुर्सी से हटाकर प्रधानमंत्री बने थे, जिन्हें उनका राजनीतिक गुरू माना जाता है।
नेतन्याहू 12 साल प्रधानमंत्री रह चुके हैं। हालांकि, वे भी गठबंधन सरकार के ही मुखिया थे। बेनेट सरकार के पक्ष में 60 जबकि विरोध में 59 सांसदों ने वोट किया था।12 साल तक सत्ता सुख भोगने वाले नेतन्याहू के लिए सत्ता के दरवाजे अब भी खुले हैं।
आगे क्या
नेतन्याहू के लिए सत्ता के दरवाजे अब भी खुले हैं। अगर बेनेट सरकार गिर जाती है तो दो रास्ते होंगे। पहला- नए चुनाव कराए जाएं। दूसरा- नेतन्याहू बहुमत का फिर जुगाड़ करें और सरकार बना लें। यामिना पार्टी के बेनेट को वैसे तो सितंबर 2023 तक प्रधानमंत्री रहना है। इसके बाद वो यह पद सहयोगी येर लैपिड को सौंप देंगे। यह गठबंधन की शर्तों में शामिल है। नेतन्याहू इसे सत्ता के लिए सौदेबाजी बता चुके हैं, लेकिन उनके खिलाफ भी भ्रष्टाचार के केस चल रहे हैं।