पिछले हफ्ते काबुल में भारतीय अफसरों और तालिबान की मीटिंग हुई थी। तालिबान ने भरोसा दिलाया कि भारत के खिलाफ साजिश करने वाले आतंकी संगठनों पर लगाम कसी जाएगी। बैठक में तालिबान ने की तरफ से कहा गया कि सटीक जानकारी पर आतंकियों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा और उन पर नजर रखी जाएगी। तालिबान अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं होने देगा।
मीटिंग तालिबान सरकार की गुजारिश पर हुई थी। भारत से अफगानिस्तान-पाकिस्तान एक्सपर्ट और विदेश विभाग के अफसर जेपी सिंह ने मीटिंग में हिस्सा लिया। अफगानिस्तान की तरफ से रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब, गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी और विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी शामिल हुए थे।
दुशांबे के सम्मेलन में नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (NSA) अजित डोभाल ने रूस, चीन, ईरान और सेंट्रल एशियाई देशों के NSA को आतंकवाद से निपटने में अफगानिस्तान को मदद करने की बात कही।
अल-कायदा की धमकी के बाद तालिबान ने दिया भरोसा
तालिबान के लीडर्स ने अल-कायदा, जैश-ए-मुहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों पर एक्शन लेने का भरोसा दिया है। भारत का यह मानना है कि तालिबान शासन अब पहले के मुकाबले काफी अलग काम कर रहा है। हालांकि, अभी भी बहुत सतर्क है।
इंटेलिजेंस इनपुट ने अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट खोरासन प्रोविंस (ISKP) को पाकिस्तान से मदद मिलने की बात कही है।
तालिबान से अच्छे संबंध भारत के हित में
मोदी सरकार ने अफगानिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद और विकास कार्यों को शुरू करने भरोसा दिया है। तालिबान से सीधी बात, भारत को सेंट्रल एशियाई देशों के सहारे नहीं छोड़ती। ऐसे में भारत यहां अपने हितों पर ध्यान दे सकता है। इसके अलावा पाकिस्तान और तुर्की जैसे देशों पर नजर भी रख सकता है।