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चीन ने थियानमेन की निशानी हटाई:जहां हजारों लोगों पर गोलियां बरसाई थीं, वहां से लोकतंत्र की प्रतिमा भी हटाई,

आज 33 साल पहले 4 जून 1989 में चीन की राजधानी बीजिंग के थियानमेन स्क्वायर हजारों लोग लोकतंत्र शांतिपूर्ण मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे। सरकार ने इस आंदोलन को कुचलने के लिए चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को उतार दिया। इसके बाद सेना ने तबाही का जो आलम रचा वो आज भी लोगों की रूह कंपा देता है।

PLA आंदोलन कुचलने के लिए लोगों पर गोलियां और बम चलाने से भी नहीं चूकी। सड़कों पर टैंक उतार दिए गए और निहत्थे लोगों को रौंद दिया गया। अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स में 10 हजार लोगों मारे जाने की बात कही गई। हालांकि, चीन ने कभी भी मरने वालों की सही संख्या को सार्वजनिक नहीं किया।

यह घटना आज भी चीनी सरकार को इतनी डराती है कि उसने इस नरसंहार से जुड़े कंटेंट पर बैन लगा रखा है। उस समय चीनी की इस कार्रवाई पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी आलोचना की गई थी। तब से लेकर आज तक चीनी सरकार बेहद सर्तकता बरतती है। अब उसने थियानमेन स्क्वायर से इस आंदोलन से जुड़े स्मारकों खास कर ‘लोकतंत्र की प्रतिमा’ को हटा दिया है।

थियानमेन स्क्वायर पर लोकतंत्र की मांग कर रहे छात्रों ने 'प्रजातंत्र की मूर्ति' स्थापित की थी।

थियानमेन स्क्वायर पर लोकतंत्र की मांग कर रहे छात्रों ने ‘प्रजातंत्र की मूर्ति’ स्थापित की थी।

इतिहास के निशान हटाने की कोशिश- एंटनी ब्लिंकन
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इस हरकत पर चाइनीज सरकार को निशाने पर लिया है। एंटनी ब्लिंकन ने लिखा- थियानमेन स्क्वायर से स्मारकों को हटाकर इतिहास के निशान हटाने की कोशिश की गई है। इसके बावजूद अमेरिका मानवाधिकारों के सम्मान को बढ़ावा देना जारी रखेगा।

ऐसे शुरू हुआ था प्रदर्शन
एक मुक्त विचार पार्टी के नेता हू याओबैंग की मौत के खिलाफ छात्रों ने थियानमेन चौक में प्रदर्शन शुरू किया था, जो देखते-देखते देश में प्रजातंत्र की गुहार लगाने लगा। प्रदर्शनकारी जल्द ही आधिकारिक भ्रष्टाचार को खत्म करने की मांग के साथ-साथ पार्टी को सत्ता से हटाने की भी मांग करने लगे। आधिकारिक तौर पर इन प्रदर्शनों को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आई थीं। जिससे सत्ता में सुधारवादी और रूढ़िवादी के बीच इस बात को लेकर चल रहा द्वंद भी सामने आया। पूरे चीन में विरोध प्रदर्शन हुए और हजारों लोग राजधानी में जमा होने लगे।

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