दिल्ली कैपिटल्स की टीम मुंबई इंडियंस के खिलाफ मिली दिल तोड़ने वाली हार के साथ IPL 15 से बाहर हो गई। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के खेमे में जश्न यह बताने को काफी है कि एक टीम का सपना टूटना दूसरे के लिए सुखद रहा। अगर DC की टीम MI के खिलाफ मुकाबला जीत जाती, तो वह बेहतर रन रेट के आधार पर प्लेऑफ में पहुंच जाती
कप्तानी की चूक, सेकंड हाफ में विकेट टेकर कुलदीप की विफलता, पृथ्वी शॉ के बिना फ्लॉप ओपनिंग, नॉर्त्या की लचर गेंदबाजी और कोरोना का असर ऐसा रहा कि DC 16 अंकों तक नहीं पहुंच सकी।
1. कप्तान, बल्लेबाज और विकेटकीपर के रूप में फेल रहे ऋषभ पंत
ऋषभ पंत को टीम इंडिया का फ्यूचर कैप्टन माना जाता है। युवराज सिंह जैसे दिग्गज तो उन्हें 24 साल की उम्र में टेस्ट टीम की कमान सौंपने की बात कह चुके हैं। ऐसे में IPL के दौरान उनका बर्ताव और कप्तान के तौर पर दबाव ना झेल पाना दिल्ली कैपिटल्स पर भारी पड़ा।
राजस्थान के खिलाफ आखिरी ओवर में रॉवमेन पॉवेल 3 छक्के लगा चुके थे। अगर वे 3 छक्के और लगा देते तो टीम जीत जाती। इसी बीच अंपायर ने हाइट की नो-बॉल नहीं दी। पंत ने अपने दोनों बल्लेबाजों को विरोध स्वरुप मैदान के बाहर आने का इशारा कर दिया।
गली क्रिकेट में अगर कोई कप्तान ऐसा करे तो समझ आता है। इंटरनेशनल क्रिकेट खेल चुका खिलाडी ऐसा बर्ताव करे, तो स्वीकार नहीं किया जा सकता। पूरे घटनाक्रम के बीच पॉवेल का ध्यान भटका और वे छक्का लगाना जारी नहीं रख सके। पंत को मुकाबले के दौरान ऐसे बर्ताव से परहेज करना चाहिए था।
दरअसल यह नाराजगी बल्लेबाजी में उनकी नाकामी का नतीजा था। पंत किसी भी इनिंग में लंबी पारी नहीं खेल सके। पहली बार ऐसा हुआ कि सीजन की समाप्ति के बाद उनके नाम एक भी अर्द्धशतक नहीं है। कप्तान और बल्लेबाज के तौर पर पंत की विफलता दिल्ली पर भारी पड़ी और वह प्लेऑफ के दरवाजे तक आकर भी अंदर नहीं जा सकी।
मुंबई के खिलाफ करो या मरो के मुकाबले में पहले तो कप्तान ऋषभ ने 12वें ओवर में डेवाल्ड ब्रेविस का आसान कैच छोड़ दिया। उसके बाद 15वें ओवर में 0 के स्कोर पर टिम डेविड का कैच पकड़ कर भी पंत ने DRS नहीं लिया। दोनों ही खिलाड़ियों ने जीवनदान का पूरा फायदा उठाया। नतीजा ये हुआ कि दिल्ली ने 5 विकेट से मैच गंवा दिया।
2. सेकंड फेज में कुलदीप का खराब प्रदर्शन टीम पर भारी पड़ा
कुलदीप यादव दिल्ली के सबसे सफल गेंदबाज रहे। लग रहा था कि वे अपने दम पर टीम को प्लेऑफ का सफर तय कराएंगे, लेकिन फर्स्ट हाफ में अपनी गेंदबाजी से कहर बरपाने के बाद सेकंड हाफ के 6 मुकाबलों में केवल चार विकेट चटका सके। पहले 8 मुकाबलों में 17 विकेट लेने वाले कुलदीप के प्रदर्शन में हुई दिल्ली को नुकसान कर गई। जिस जोश के साथ कुलदीप अपनी पुरानी टीम KKR के खिलाफ गेंदबाजी कर रहे थे, सेकंड फेज के मुकाबलों में वह उत्साह नजर नहीं आया।
KKR के खिलाफ दोनों मुकाबलों में 4-4 विकेट निकालकर ‘मैन ऑफ द मैच’ का अवार्ड जीतने वाले कुलदीप उसी आक्रामकता के साथ दूसरी टीमों के खिलाफ गेंदबाजी करते नहीं दिखे। कुलदीप का ना परफॉर्म कर पाना टीम की उम्मीदों के लिए हानिकारक रहा। फर्स्ट हाफ में उन्हीं विकेट पर अच्छा कर रहे कुलदीप दूसरे हाफ में विकेट के लिए तरसते दिखे।
3. कोरोना संक्रमण से भी दिल्ली के कैंपेन पर पड़ा असर
कोरोना ने दिल्ली की टीम का बड़ा नुकसान किया टीम मुंबई के जिस होटल में ठहरी थी उसके कुछ स्टाफ पॉजिटिव आए। 16 अप्रैल को रॉयल चैलेंजर्स के खिलाफ मैच से पहले हुए कोरोना टेस्ट में दिल्ली टीम के फिजियो पैट्रिक फराहर्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। उसके बाद सभी खिलाड़ियों का कोरोना टेस्ट लगातार किया जाने लगा। दिल्ली के खिलाड़ी मिचेल मार्श का एंटीजन टेस्ट पॉजिटिव आया, जिसके बाद उसी दिन उनका दो बार RTPCR टेस्ट हुआ।
पहली रिपोर्ट निगेटिव आई थी, दूसरी रिपोर्ट फिर पॉजिटिव आई। देर रात उन्हें अस्पताल में एडमिट कराया गया। मार्श के अलावा दिल्ली टीम के एक डॉक्टर, 1 सोशल मीडिया टीम का मेंबर और मसाज थेरेपिस्ट भी कोरोना संक्रमित हो गए। संक्रमण के चलते पूरी टीम को क्वारैंटाइन करना पड़ा। परिवार के करीबी के संक्रमित होने के बाद कोच रिकी पोंटिंग को भी 3 दिनों तक क्वारैंटाइन में रहना पड़ा।
बाकी किसी टीम में कोरोना के इतने मामले नहीं आए, लेकिन दिल्ली लगातार इसके संक्रमण से त्रस्त रही। ऐसे में स्वाभाविक तौर पर खिलाड़ियों की लय भंग हुई। इसका नतीजा हुआ कि महत्वपूर्ण मुकाबलों में मार्श जैसे गेम चेंजर प्लेयर के ना होने का टीम ने नुकसान उठाया। खेमे में कोरोना के कारण बने संशय के माहौल ने प्रदर्शन पर असर डाला और टीम प्लेऑफ में क्वालीफाई करने के लिए जरूरी 8 मुकाबले नहीं जीत सकी।
4. पृथ्वी शॉ का कुछ महत्वपूर्ण मुकाबलों में न खेलना दिल्ली की प्लेऑफ की उम्मीदें तोड़ गया
दिल्ली हमेशा से पृथ्वी शॉ को बतौर ओपनर देख रही थी। कई दिग्गज खिलाड़ियों की बजाय मैनेजमेंट ने पृथ्वी को मेगा-ऑक्शन से पहले रिटेन करने का फैसला किया था। शुरुआती मुकाबलों में आतिशी बल्लेबाजी करते हुए पृथ्वी ने भरोसा जगाया कि वे पूरे सीजन टीम को बेहतर शुरुआत देंगे। वॉर्नर और शॉ की जोड़ी टूर्नामेंट की सबसे विध्वंसक ओपनिंग जोड़ी के तौर पर भी देखी जा रही थी।
इसी बीच अचानक उनके बीमार होने की खबर आई। अस्पताल से पृथ्वी की तस्वीरें वायरल हुईं। बदले में जिस केएस भरत को ओपनिंग का जिम्मा सौंपा गया, वे पूरी तरह नाकाम रहे। भरत का मैदान पर आते ही ऑफ स्टंप के बाहर की पहली गेंद को एक्रॉस द लाइन खेलने का प्रयास टीम पर बहुत भारी पड़ा।
वॉर्नर ने जरूर अकेले टीम की बागडोर संभालने की कोशिश की, लेकिन वह भी साथी खिलाड़ी के सपोर्ट के बिना उन मुकाबलों में ज्यादा कुछ नहीं कर सके। अगर पृथ्वी गलत समय पर टूर्नामेंट से बाहर नहीं होते, तो टीम कुछ आसान से मुकाबले जीतकर प्लेऑफ में अपनी जगह सुनिश्चित कर सकती थी।
5. रबाडा की बजाय रिटेन किए गए नॉर्त्या अच्छा खेल नहीं दिखा सके
एनररिक नॉर्त्या को DC ने उनकी एक्सप्रेस स्पीड के आधार पर रिटेन किया था। रबाडा की जगह उनको रिटेन करने के फैसले पर काफी सवाल खड़े हुए थे। हालांकि, मैनेजमेंट का यकीन था कि पावर प्ले और डेथ ओवर में नॉर्त्या रबाडा से कहीं बेहतर साबित होंगे। नॉर्त्या फैंस और टीम के भरोसे पर बिल्कुल भी खरे नहीं उतर सके।
नॉर्त्या की गेंदबाजी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सीजन के पहले मुकाबले में बीमर डालने के कारण अंपायर को उन्हें गेंदबाजी से हटाना पड़ा था। फिर कुछ मुकाबलों के लिए DC ने उन्हें ड्रॉप कर दिया। स्ट्राइक बॉलर की यह दुर्दशा टीम के लिए नुकसानदायक रही। जिस समय टीम को विकेट की सबसे ज्यादा दरकार थी, इस अवसर पर नॉर्त्या चूक गए।
रबाडा की तेज गेंदबाजी के अलावा निचले क्रम में बल्लेबाजी नॉर्त्या की तुलना में उन्हें रिटेन करने का बेहतर दावेदार बनाती थी। इस मामले में टीम मैनेजमेंट का गलत निर्णय आखिरकार दिल्ली को भारी पड़ा।