राहुल गांधी का केंद्र पर आरोप:लद्दाख में यूक्रेन जैसे हालात, चीन पर बोलने से डर रही सरकार

लंदन के कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में आइडियाज ऑफ इंडिया सेमिनार में राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। राहुल ने कहा कि चीन ने लद्दाख और डोकलाम में यूक्रेन जैसे हालात कर दिए हैं, लेकिन सरकार इस पर एक्शन नहीं ले रही है। राहुल ने कहा कि सरकार इस मसले पर बोलने से भी डरती है।

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा- भाजपा देश में ध्रुवीक्ररण का केरोसिन छिड़क रही है। बस आपको एक चिंगारी लगाने की जरूरत है, फिर देश खुद जलने लगेगा।उन्होंने कहा कि कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष की लड़ाई सबसे पहले इसे रोकने की है।

इस सेमिनार में शामिल होने के लिए सीताराम येचुरी, सलमान खुर्शीद, तेजस्वी यादव, महुआ मोइत्रा और मनोज झा समेत विपक्ष के कई नेता पहुंचे हैं।

इस सेमिनार में शामिल होने के लिए सीताराम येचुरी, सलमान खुर्शीद, तेजस्वी यादव, महुआ मोइत्रा और मनोज झा समेत विपक्ष के कई नेता पहुंचे हैं।

भारत में लोकतंत्र की स्थिति अच्छी नहीं
राहुल ने एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत में अभी लोकतंत्र की स्थिति अच्छी नहीं है। भाजपा के लोगों ने संवैधानिक पदों पर कब्जा कर लिया है। सभी सरकारी संस्थानों में पीछे से लोगों की एंट्री दी जा रही है। हम इन लोगों से लड़ रहे हैं।

कांग्रेस क्यों लगातार हार रही है चुनाव
कांग्रेस की हार और भाजपा की जीत के सवाल पर राहुल ने कहा कि हम लोगों के पास नहीं जा पा रहे हैं। हमें और अधिक आक्रामक रूप से उन 60-70% लोगों के पास जाने की जरूरत है, जो भाजपा को वोट नहीं देते हैं और हमें इसे एक साथ करने की जरूरत है।

राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस सबको सुनती है और जोड़ने का काम करती है। हम इस नेचर को नहीं बदलेंगे।

राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस सबको सुनती है और जोड़ने का काम करती है। हम इस नेचर को नहीं बदलेंगे।

अंदरूनी कलह से जूझ रही है कांग्रेस
राहुल गांधी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि कांग्रेस अभी अंदरूनी कलह से जूझ रही है। उन्होंने कहा कि हमें लोग कहते हैं कि भाजपा जैसा काडर आपके पास क्यों नहीं है? मेरा जवाब है कि उनके जैसा काडर अगर होगा, तो हम लोगों का सुनना छोड़ देंगे। कांग्रेस की DNA में यह नहीं है।

इकॉनोमिक क्राइसिस पर गंभीर नहीं सरकार
राहुल गांधी ने कहा कि भारत में सरकार इकॉनोमिक क्राइसिस पर गंभीर नहीं है। आप 1991 के नीतियों से अब क्राइसिस को खत्म नहीं कर सकते। मैंने 2012 में मनमोहन सिंह जी से पूछा था, तो उनका जवाब था कि अब हम नए दौर में आ गए हैं, पुरानी नीतियों से काम नहीं होगा। सरकार क्राइसिस से निपटने के लिए कोई पहल नहीं कर रही और ना ही किसी की सुन रही है।

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