एशिया के सबसे विकसित देश जापान के सरकारी स्कूलों के स्टूडेंट्स अंग्रेजी भाषा में पिछड़ रहे हैं। दशकों तक जापान अंग्रेजी दुभाषियों के लिए पश्चिमी देशों पर ही निर्भर रहा है। जापान में कम ही स्टूडेंट्स अंग्रेजी के प्रति उत्सुक रहे हैं।
ऐसे में सरकार ने 2018 में स्कूलों में अंग्रेजी पर खास ध्यान देना शुरू किया, इसके लिए योजना भी बनाई। इसके बाद भी जापानी शिक्षा मंत्रालय के हालिया सर्वे में अंग्रेजी की कुशलता पर चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं।
सर्वे के अनुसार, 10वीं क्लास में 47% स्टूडेंट्स ही व्यावहारिक अंग्रेजी में परीक्षा में पास हो सकते हैं। 12वीं क्लास में केवल 46% छात्र ही अंग्रेजी की परीक्षा पास होने की स्थिति में हैं। जापान सरकार ने 2022 तक दोनों क्लास में 50% स्टूडेंट्स को अंग्रेजी भाषा में कुशल बनाने का टारगेट था। 2018 में बनी इस योजना को जापान की कैबिनेट ने मंजूरी दी थी, ताकि देश में ग्लोबल स्तर के कर्मचारी तैयार हो सकें।
50% स्टूडेंट्स को अंग्रेजी में परफेक्ट बनाने का टारगेट था
जापान सरकार का टारगेट था कि 50% स्टूडेंट्स को यूरोप के मापदंड के मुताबिक अंग्रेजी में कुशल बनाया जाए। यूरोप का मापदंड एक 6 स्तरीय सिस्टम है, जिसमें स्टूडेंट्स के अंग्रेजी भाषा के नॉलेज का आकलन किया जाता है।
हालांकि, पिछले सर्वे की तुलना में स्थिति में सुधार हुआ है। 10वीं के आंकड़ों में 3% और 12वीं के आंकड़ों में 2.5% की बढ़ोतरी हुई है। जापान सरकार चाहती है कि देश के स्टूडेंट्स अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ रखें, जिससे जापान की अंग्रेजी दुभाषियों के लिए अन्य देशों पर डिपेंडेंसी कम हो।
10वीं के टीचर्स की स्थिति भी अच्छी नहीं
सर्वे में अंग्रेजी पढ़ाने वाले टीचर्स की क्षमता को भी परखा गया। 10वीं क्लास के स्टूडेंट्स को पढ़ाने वाले शिक्षकों में 41% यूरोपीय मापदंड के मुताबिक अंग्रेजी परीक्षा में पास हो सके। वहीं 12वीं क्लास को पढ़ाने वाले 75% टीचर इस परीक्षा में पास हुए।