पश्चिमी समाज में महिलाएं, पुरुषों की तुलना में तलाक की अर्जियां ज्यादा लगा रही हैं। अमेरिका में 90% तलाक के मामले महिलाओं द्वारा किए गए हैं। ब्रिटेन में 62% तलाक के मामलों में महिला याचिकाकर्ता हैं। विशेषज्ञों ने इसका एक कारण पश्चिमी देशों में तलाक प्रक्रिया का आसान होना बताया है।
डॉ. हैडी कार के मुताबिक महिलाओं में आर्थिक स्वतंत्रता और वित्तीय समझ के चलते वैवाहिक संघर्ष बढ़ते हैं। यदि महिला कामकाजी हैं तो आर्थिक तौर पर एक अपमानजनक संबंध में रहना उसके लिए जरूरी नहीं होता, इस कारण भी तलाक की पहल महिलाओं द्वारा ज्यादा की जा रही हैं।
मनोवैज्ञानिक डॉ. गिल्जा फोर्ट मार्टिनेज के मुताबिक, ‘पुरुषों में भावनात्मक समझ की कमी के कारण कई बार महिला साथी को अकेलापन महसूस होता है।’ उनका यह भी कहना है, ‘अधिक मात्रा में भावनात्मक बुद्धि होने के कारण महिलाओं में यह समझ ज्यादा होती है, जिससे वे पति से अलग रहने का या तलाक लेने के फैसला ले पाती हैं।’
विशेषज्ञों के अनुसार, जहां 39% पुरुषों को तलाक लेने के बाद अफसोस होता है, वहीं, 27% महिलाएं तलाक लेने के बाद अपने फैसले पर अफसोस करती हैं।
भारत में केवल 0.3 फीसदी महिलाएं हैं तलाकशुदा
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में केवल 0.3% महिलाएं तलाकशुदा हैं। विशेषज्ञों द्वारा इसकी वजह महिलाओं में आर्थिक आजादी की कमी, परिवार में सहयोग की कमी और देश में तलाक के प्रति समाज का नकारात्मक नजरिया माना जाता है।