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बुर्का फरमान के खिलाफ काबुल में महिलाओं का प्रदर्शन:कहा- ये हमारा हिजाब नहीं, प्रदर्शन के दौरान चेहरा भी खुला रखा

अफगानिस्तान में तालिबान के बुर्का फरमान के खिलाफ महिलाओं ने विरोध किया है। काबुल में प्रदर्शन के दौरान महिलाओं ने अपना चेहरा भी खुला रखा था। वे सड़कों पर ‘जस्टिस, जस्टिस’ का नारा लगा रही थीं।

प्रदर्शन कर रही महिलाओं में शामिल सायरा समा अलीमियार ने कहा- आखिर हम भी इंसान हैं और उसी तरह से जीना चाहते हैं। हम नहीं चाहते की कोई हमें जानवर की तरह घर के एक कोने में बंदी बनाकर रखे। आखिर क्यों हमें सार्वजनिक जगहों पर अपने चेहरे और शरीर को पूरी तरह से ढंकने के लिए मजबूर किया जा रहा है। प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना था कि बुर्का हमारा हिजाब नहीं है। आखिर हम क्यों खुद को पूरी तरह छुपाकर ही महफूज रह सकते हैं।https://www.bhaskar.com/__widgets__/iframe/poll/NvO779ndMO2Z

तालिबान लड़ाकों ने की रोकने की कोशिश
वहीं, महिलाएं जब काबुल की सड़कों पर प्रदर्शन कर रही थीं तो तालिबान लड़ाकों ने उन्हें ऐसा करने से रोकने की कोशिश की। इसके अलावा उन्होंने इस घटना को कवर कर रहे पत्रकारों को भी रिपोर्टिंग करने से रोक दिया।

तालिबान का महिलाओं को लेकर हमेशा से कट्टरपंथी रुख रहा है। यह फोटो अगस्त 2001 की है, जिसमें तालिबानी लड़ाका एक महिला को मार रहा है, क्योंकि महिला ने अपना बुर्का उतार दिया था।

तालिबान का महिलाओं को लेकर हमेशा से कट्टरपंथी रुख रहा है। यह फोटो अगस्त 2001 की है, जिसमें तालिबानी लड़ाका एक महिला को मार रहा है, क्योंकि महिला ने अपना बुर्का उतार दिया था।

क्या है तालिबान का बुर्का फरमान?
तालिबान ने महिलाओं के लिए नया नियम जारी करते हुए कहा कि महिलाओं को अब सार्वजनिक जगहों पर बुर्का पहनना ही होगा। अगर महिला ने घर से बाहर अपना चेहरा नहीं ढंका तो, उसके पिता या सबसे नजदीकी पुरुष रिश्तेदार को जेल में डाल दिया जाएगा या सरकारी नौकरी से निकाल दिया जाएगा।

तालिबान के ‘शराफत को बढ़ावा देने और बुरी आदतों को रोकने’ के मंत्रालय के प्रवक्ता ने काबुल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तालिबान के सुप्रीम लीडर हिबातुल्लाह अखुंदजादा का यह आदेश पढ़कर सुनाया। इस आदेश में यह भी कहा गया है कि चेहरा ढंकने के लिए नीले रंग का बुर्का सबसे अच्छा रहेगा। यह नीला बुर्का ही 1996 से 2001 के बीच दुनियाभर में तालिबान के क्रूर शासन की निशानी बना।

बच्चियों के स्कूल जाने पर पाबंदी लगाई
अफगानिस्तान में लागू हुए तालिबानी फरमान से महिलाओं को मिले लगभग वो सारे अधिकार छिन गए जिसे अमेरिका ने साल 2001 में तालिबान शासन को हराकर महिलाओं को दिए थे। अगस्त 2021 में अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद सबसे पहले तालिबान ने एजुकेशन सिस्टम में बदलाव करने शुरू किए। सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं के स्कूल जाने पर रोक लगा दी गई थी। कुछ समय बाद तालिबान ने सेकेंडरी स्कूल फिर खोलने की भी इजाजत दी थी, मगर एक बार फिर उसने अपने फैसले को पलट दिया और लड़कियों के स्कूल जाने पर फिर पाबंदी लगा दी।

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