पेंटागन की खुफिया रिपोर्ट में सनसनीखेज खुलासा हुआ है। पिछले 7 साल के दौरान इराक और सीरिया में अमेरिकी स्पेशल ऑपरेशन के तहत किए गए हमलों में 1300 से ज्यादा आम नागरिक मारे गए। जबकि अमेरिका की ओर से इन ऑपरेशनों में अपनी हवाई क्षमता और अत्याधुनिक हथियारों की मदद से केवल आतंकी ठिकानों पर ही बमबारी का दावा किया जाता रहा है।
अमेरिका ने इन हमलों में कभी भी आम नागरिकों की मौत को स्वीकार नहीं किया। खुफिया रिपोर्ट के अनुसार अकसर अमेरिका को स्थानीय लोगाें से मिलने वाली सूचनाएं गलत निकलती रही हैं। इसके कारण कई मामलों में रिहायशी ठिकानों पर ही बमबारी कर दी गई। जबकि अमेरिका की ओर से खाड़ी देशों में अपने ऑपरेशनों को शांति स्थापना के लिए किया जाना बताया जाता रहा है।
पेंटागन की ओर से भी सार्वजनिक रूप से हमलों में पारदर्शिता का दावा किया जाता रहा है। लेकिन गलत हमलों में नागरिकों की मौत के किसी भी मामले में कार्रवाई नहीं की। सात साल के दौरान अमेरिका ने सीरिया, इराक और अफगानिस्तान में लगभग 50 हजार हवाई हमले किए।
7 अफगान बच्चों की मौत वाले हमले में कार्रवाई नहीं होगी
पेंटागन ने रविवार को कहा कि अगस्त में अमेरिकी सेनाओं के हवाई हमले में 7 बच्चों सहित 10 लोगों के मारे जाने के मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। जबकि सितंबर में अमेरिका ने पहली बार अपनी चूक को स्वीकारा था। जबकि खुफिया रिपोर्ट के अनुसार 2018 के बाद अफगानिस्तान में अमेरिकी हमलों में 188 से ज्यादा नागरिकों की मौत हुई थी।
2016 में सीरिया में 85 आतंकियों को ढेर करने का दावा, 120 नगारिक मरे
अमेरिका ने जुलाई, 2016 में सीरिया के टोकर में आईएसआईएस के बड़े ठिकाने पर बमबारी कर कई कमांडरों सहित 85 आतंकियों को ढेर करने का दावा किया था। लेकिन पेंटागन की खुफिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अमेरिकी सेनाओं के निशाने चूक गए थे और गांव में हुई बमबारी में 120 से भी ज्यादा ग्रामीणों, महिलाओं और बच्चों की मौत हुई।
सर्विलांस फोटो और वीडियो पर भरोसा कर ग्राउंड इंटेलीजेंस दरकिनार किया
रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी सेनाओं ने इराक और सीरिया में हमलों में सर्विलांस फोटो और ड्रोन वीडियो पर जरूरत से ज्यादा भरोसा किया। ज्यादातर मामलों में ग्राउंड इंटेलीजेंस को दरकिनार किया गया। फोटो और वीडियो में दिखाई देने वाले कार शेड और दुकानों के तिरपालों को ही आतंकियों के छिपने के ठिकाने समझ लिया जाता था।