कोविड महामारी के बाद से हेवी बजट फिल्मों की रिकवरी के लिए मेकर्स फिल्मों को मल्टी लैंग्वेज और पैन इंडिया रिलीज करने में लगे हैं। इस क्रिसमस पर ’83’ न सिर्फ हिंदी, बल्कि साउथ के चार लैंग्वेज में रिलीज हो रही है। इसी डेट पर ‘अतरंगी रे’ भले ही ओटीटी रिलीज है, मगर वह भी तमिल लैंग्वेज में डब होकर रिलीज होगी। अपकमिंग फिल्मों के लिहाज से इस लीग में ‘ब्रह्मास्त्र’ भी शामिल हो चुकी है।
साउथ में ‘ब्रह्मास्त्र’ को प्रेजेंट करने के लिए ऑन बोर्ड आए एसएस राजामौली
शनिवार को इस बाबत हैदराबाद में ‘बाहुबली’ फेम एसएस राजामौली साउथ में ‘ब्रह्मास्त्र’ को प्रेजेंट करने के लिए ऑन बोर्ड आए। साउथ इंडियन लैंग्वेज में ‘बह्मास्त्र’ को लेकर अवेयरनेस जगाने के मद्देनजर मेकर्स की गंभीरता भी जाहिर हुई। एसएस राजामौली तो मंच पर थे ही, वहां बाकायदा करन जौहर, रणबीर कपूर, अयान मुखर्जी, आलिया भट्ट पहुंचे थे। फिल्म में ऑलरेडी नागार्जुन अक्कीनेनी अहम रोल में हैं। वो भी सबकी हौसलाअफजाई के लिए वहां मौजूद थे। अयान ने तो राजामौली को अपना गुरू करार दिया। अयान ने राजामौली के पांव छूकर आशीर्वाद लिया था।
‘ब्रह्मास्त्र’ की प्रेजेंटिंग ताकत बनने के लिए मैं राजामौली का शुक्रगुजार हूं: करन जौहर
करन जौहर ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, “मुझमें और राजामौली सर में तो खैर टैलेंट के लिहाज से कुछ भी कॉमन नहीं, मगर हां उन्होंने ‘स्टूडेंट नंबर वन’ बनाई थी। मेरी भी एक फिल्म का नाम ‘स्टूडेंट ऑफ र्द ईयर’ था। बाकी उनके सिनेमाई जीनियस के सामने तो हम लोग धूल बराबर भी नहीं हैं। मैं उनकी हर फिल्म देखता रहा हूं। ‘मक्खी’ में तो मैंने कुर्सी पर खड़े होकर तालियां बजाई थीं। उनकी ‘बाहुबली’ इंडियन सिनेमा की पहली क्रॉसओवर फिल्म थी। उसके बाद से पैन इंडिया फिल्म का ईजाद हुआ। ‘ब्रह्मास्त्र’ की प्रेजेंटिंग ताकत बनने के लिए मैं उनका शुक्रगुजार हूं। उनके आने से साउथ के मार्केट में ‘ब्रह्मास्त्र’ बड़ा डिफरेंस क्रिएट करेगी।”
‘ब्रह्मास्त्र’ का कॉन्सेप्ट अनोखा है, कई मायनों में ‘बाहुबली’ की याद दिलाता है: राजामौली
एसएस राजामौली ने इस मौके पर कहा, “‘ब्रह्मास्त्र’ का कॉन्सेप्ट अनोखा है। कई मायनों में यह मुझे अपनी ‘बाहुबली’ की याद दिलाता है। इसे बनाने में अयान मुखर्जी ने जितना लंबा वक्त दिया है, उतना मुझे ‘बाहुबली’ पर लगा था। अयान का जो विजन है, वह इंडियन सिनेमा का नया चैप्टर है। अच्छी चीज है कि मेरी ‘बाहुबली’ को हिंदी में करन जौहर ने प्रेजेंट किया था। अब लाइफ फुल सर्किल में आया है। मैं उनकी ‘ब्रह्मास्त्र’ यहां साउथ में प्रेजेंट कर रहा हूं, पर ऐसा भी नहीं है कि मैं ‘ब्रह्मास्त्र’ से इसलिए जुड़ा हूं कि करन जौहर ने मेरी ‘बाहुबली’ प्रेजेंट की थी। वजह अयान मुखर्जी का सिनेमा को लेकर जुनून है। सात साल का उनका लंबा इंतजार है। हम तेलुगू लोग उन लोगों को बहुत प्यार करते हैं, जो फिल्मों से बेइंतहा प्यार करते हैं।”
इंडियन सिनेमा का सबसे बड़ा नाम हैं, ‘ब्रह्मास्त्र’ से जुड़ने के लिए उनका शुक्रगुजार हूं: अयान
अयान मुखर्जी ने कहा, “राजामौली इंडियन सिनेमा का सबसे बड़ा नाम है। सिनेमा में उनका नाम सबसे अधिक वजनी है। अब यह नाम ‘ब्रह्मास्त्र’ से जुड़ा है। हम सब उनके शुक्रगुजार हैं। इस फिल्म के दौरान रणबीर और आलिया अच्छे दोस्त बने। आलम यह रहा कि रणबीर और आलिया जहां कहीं जाते, लोग इन दोनों के बारे में ही बातें करने लग जाते। मैं इनसे कहता भी कि यार फिल्म से तो ज्यादा चर्चा आप दोनों की हो जाती है। आप दोनों इक्ट्ठे कहीं मत जाया करो। इसका टाइटिल यकीनन ब्रह्मास्त्र है, पर इसमें रणबीर और आलिया के किरदारों की बहुत प्यारी लव स्टोरी भी है।”
इस फिल्म से जुड़ने की वजह करन और अयान का प्यार तो है: नागार्जुन अक्कीनेनी
नागार्जुन अक्कीनेनी के मुताबिक, “इस फिल्म से जुड़ने की वजह करन और अयान का प्यार तो है ही, यह फिल्म अपने आप में एपिक है। इसका टाइटिल ही बहुत पॉवरफुल है। ‘बाहुबली’ के बाद दरअसल हमें एक और क्रॉसओवर फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र’ के तौर पर मिलने वाली है।”
तेलुगू, तमिल, कन्नड़ समेत साउथ की हर लैंग्वेज में फिल्म करना चाहता हूं: रणबीर
रणबीर ने शिवा के किरदार के चलते खुद पर हुए असर को भी जाहिर किया। उन्होंने बताया, “हम सब इस फिल्म और किरदार से इतने सालों तक साथ रहे कि इस किरदार के बिलीफ सिस्टम पर हमें यकीन हो गया। यह वीएफएक्स वाली फिल्म है, तो सेट पर हमें कायनात से जुड़ी ढेर सारी चीजें इमैजिन कर एक्ट करना पड़ता था। ऐसे में कई बार सेट पर हमें मैजिकल कनेक्ट सा महसूस होता था।”
रणबीर ने आगे कहा, “मैं साथ ही तेलुगू फिल्में करने को राजी हूं। खासकर अगर राजामौली सर कोई मौका दें तो, सिर्फ तेलुगू ही क्यों, तमिल, कन्नड़ हर लैंग्वेज में भी मैं काम करना चाहूंगा। बेशक मैं वह लैंग्वेज सीख कर फिल्में करना चाहूंगा। ताकि फिल्म और संबंधित किरदार यकीनी लगे। यहां मेरा किरदार एक तरह के लाइट में बिलीव करता है। उसे लगता है कि हर अंधकार के बाद यकीनन कहीं न कहीं लाइट होगी। हम सब उस ऊर्जा या लाइट की खोज में हैं। वह लाइट छोटी छोटी चीजों में भी ढूंढ सकते हैं।”
मैं कभी इसकी फिक्र नहीं करती कि फिल्म में मेरा रोल कितना पावरफुल है: आलिया
आलिया ने अपने किरदार की अहमियत के बारे में बताया। उनके मुताबिक, “मैं कभी इसकी फिक्र नहीं करती कि मेरा रोल कितना पावरफुल है। उसके बजाय मेरी वजह से पूरी फिल्म को क्या ताकत मिलती है, वह मेरे लिए मायने रखता है। मैंने अयान की ‘वेक अप सिड’ और ‘ये जवानी है दीवानी’ देखी हुई है। हमारे बीच दोस्ती भी है। अयान एक ड्रीम बॉय की तरह हैं। वह अपनी दुनिया में खोए रहते हैं और हर वक्त सिनेमा के बारे में सोचते रहते हैं। बाकी इस फिल्म के सफर में रणबीर, नागार्जुन सर, अमित सर थे ही तो मुझे और क्या ही चाहिए था।”
साउथ के मार्केट में भी फिल्में लाने से बॉक्स ऑफिस 10 फीसदी तो बढ़ता ही है: तरण आदर्श
ट्रेड एक्सपर्ट तरण आदर्श ने बताया, “साउथ में फिल्में रिलीज का ट्रेंड साल पहले से आया। पिछले पांच सालों में क्रॉसओवर फिल्में आना और तेज हुई हैं। डबिंग की टेक्नीक से चीजें आसान हुई हैं। साउथ के मार्केट में भी फिल्में लाने से बॉक्स ऑफिस 10 फीसदी तो बढ़ता ही है। ’83’, ‘ब्रह्मास्त्र’ और ‘अतरंगी रे’ में साउथ के बड़े नाम प्रेजेंटर हैं। ऐसे में यहां कलेक्शन और ज्यादा होगा। साउथ के ट्रेड पंडितों ने कहा, “हिंदी से साउथ में डब फिल्मों को तमिलनाडू में 102, केरेला में 76, कर्नाटका में 75 तो निजाम-आंध्रा में 340 स्क्रीन यानी कम से कम 563 स्क्रीन मिल जाते हैं। यह फिल्म के बिजनेस के लिहाज से बेहतर होता है।”