कांग्रेसी MLA किरण चौधरी ने Right to faire Compulsion and Transforming Land Acquisition Resettlement Act को चौथा काला कानून बताया। शनिवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने सरकार पर इस बिल को मनी बिल में पास करने के आरोप लगाए। बिल अगस्त 2021 के सेशन में सरकार लेकर आई थी। उस समय उन्होंने इस बिल पर विरोध जताया था, परंतु सरकार ने पास कर दिया।
किरण चौधरी का आरोप है कि नियमानुसार पिछली बार सदन में पास किए बिल को अगले सत्र के एजेंडे की सूची में शामिल किया जाता है। लेकिन सरकार ने मौजूदा एजेंडे की सूची में इसका जिक्र नहीं किया। सरकार इसे टाइपोग्राफिकल गलती भी नहीं कह सकती। यह बिल सरकार ने मनी बिल में पास कर दिया है। बिल के अनुसार सरकार लैंड ऑनर की जमीन 48 घंटे में अधिग्रहीत कर सकती है। भू मालिक कहीं जा भी नहीं सकता। यदि लैंड होल्डर की जमीन की कीमत 50 प्रतिशत भी ज्यादा है तो वह कीमत भी नहीं मिलेगी।
कांग्रेस विधायक ने कहा कि जमीन का मामला बड़ा पेचीदा होता है। सरकार जब भी लैंड होल्डर की जमीन अधिगृहीत करती है तो उसे कोई समस्या नहीं होती। यह मनी बिल नहीं हो सकता। एजेंडे में यह बिल शामिल नहीं है, इसका मतलब है कि अभी यह पास नहीं हुआ। ये बिल यदि पास होता है तो यह लैंड होल्डर के खिलाफ है। इसलिए सरकार को इसे वापस लेना चाहिए।
विरोध करने का अधिकार सभी को
किरण चौधरी ने कहा कि तीन कृषि कानून के विरोध में किसानों ने अगर सरकार का विरोध किया तो इसमें गलत क्या था। विरोध का अधिकार सभी को है। आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी ने अंग्रेजों का विरोध किया था, तो यह क्या गलत था।