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श्रीलंका में चीन की मंदिर डिप्लोमेसी:सफेद धोती पहन तमिल हिंदू मंदिर पहुंचे चीनी राजदूत, भारत की इस हरकत पर पैनी नजर

दो दिन पहले श्रीलंका में चीन के राजदूत ची झेनहोंग ने तमिल बहुल इलाके में स्थित हिंदू मंदिर का दौरा किया। चीनी दूतावास ने इस दौरे तस्वीरें ट्वीट कीं। यह इलाका भारत के लिए भी काफी अहम है। दरअसल, इसी क्षेत्र में तमिलों का हिंसक आंदोलन चला था। भारतीय तमिलों का इस इलाके से भावनात्मक लगाव माना जाता है। यही वजह है कि चीनी राजदूत के मंदिर दौरे पर भारत और इसके एक्सपर्ट्स की नजर है। तस्वीरों में झेनहोंग जाफना के ऐतिहासिक नल्लूर कंडास्वामी कोविल मंदिर के बाहर प्रसाद की टोकरी लिए नजर आ रहे हैं। उन्होंने मंदिर जाने के लिए पारंपरिक परिधान सफेद धोती (जिसे वेष्टि कहा जाता है) पहनी। यहां पुजारियों ने पारंपरिक तमिल हिंदू तरीके से उनका स्वागत किया।

मछुआरों को फिशिंग का सामान गिफ्ट
चीनी दूतावास ने सोशल मीडिया पर कहा- झेनहोंग ने धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का सम्मान करते हुए मंदिर का दौरा किया। उन्होंने मंदिर के लिए दान भी दिया। जाफना पब्लिक लाइब्रेरी को किताबें दान कीं। नॉर्दर्न प्रॉविंसेज के गवर्नर जीवन त्यागराज से मुलाकात कर आपसी सहयोग बढ़ाने और तमिल समुदाय की कमाई बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। चीनी अधिकारियों ने जाफना और मन्नार के मछुआरों को फिशिंग का सामान और फेस मास्क गिफ्ट किए।

जाफना की लाइब्रेरी के बारे में जानकारी लेते चीनी राजदूत।

जाफना की लाइब्रेरी के बारे में जानकारी लेते चीनी राजदूत।

भारत के लिए क्यों अहम
तमिल बहुल उत्तरी श्रीलंका भारत के लिए कई मायनों में अहम है। श्रीलंका से अलग देश की मांग को लेकर लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल इलम यानी LTTE ने यहां पर हिंसक आंदोलन चलाया था। इसी ग्रुप के लोग पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या में भी शामिल थे।

चीन श्रीलंका के सिंहली बहुल इलाके में मजबूत पैठ रखता है, लेकिन तमिल बहुल इलाके में उसके इरादे अब तक कामयाब नहीं हो सके हैं। हाल ही में भारत ने इस इलाके में चीनी कंपनी के हाइब्रिड पॉवर प्लान्ट लगाने की योजना को रुकवा दिया था।

जाफना के इस मंदिर को नए सिरे से बनाया गया है।

जाफना के इस मंदिर को नए सिरे से बनाया गया है।

क्या है भारत की चिंता
एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन इस इलाके में घुसपैठ कर भारत के हितों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अलावा यह इलाका अपनी पहचान को लेकर भी काफी सेंसिटिव रहा है। अगर चीन इस इलाके में अपनी जगह बना लेता है तो वह भारत की समुद्री सीमा के काफी नजदीक पहुंच जाएगा। दक्षिण एशिया में पैठ बनाने के लिए चीन लंबे वक्त से हथकंडे अपनाता रहा है। चीन और पाकिस्तान की दोस्ती तो जगजाहिर है। अब उसकी नजर भारत के दूसरे पड़ोसियों श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार पर भी है।

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